नई दिल्ली।केंद्र सरकार ने व्यापारियों के अनुरोध पर काबुली चना को स्टॉक सीमा के दायरे से बाहर कर दिया है। व्यापार सूत्रों ने बताया कि सरकार के इस कदम से विदेशी बाजारों में काबुली चना के निर्यात को आसान बनाने में मदद मिलेगी।इसको लेकर गुरुवार रात को सरकार ने गजट अधिसूचना भी जारी कर दी। अधिसूचना में कहा गया है कि काबुली चना को स्टॉक सीमा से बाहर कर दिया गया है।
बात ये है कि बीते 21 जून को सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए 30 सितंबर, 2024 तक काबुली चना, अरहर और चना पर स्टॉक सीमा लगा दी थी।प्रत्येक दाल के लिए स्टॉक सीमा थोक विक्रेताओं के लिए 200 मीट्रिक टन, खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 मीट्रिक टन, प्रत्येक खुदरा दुकान पर 5 मीट्रिक टन और बड़ी बिजनेस चेन के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 200 मीट्रिक टन की स्टॉक लिमिट तय की गई थी।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार व्यापारिक संस्था इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) ने सरकार से अनुरोध किया था कि काबुली चना को स्टॉक सीमा के दायरे से मुक्त किया जाए। भारत में उत्पादित काबुली चना बहुत ही खास गुणवत्ता का होता है। देसी चने की तुलना में यह एक महंगा उत्पाद है और इसका भारी स्तर पर निर्यात किया जाता है।
व्यापारिक संस्था इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) के अध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा कि सरकार ने इसे एक वास्तविक मुद्दा पाया है और काबुली चना को स्टॉक सीमा प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया है।उन्होंने ये भी कहा कि इसका घरेलू बाजार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि मुख्य रूप से इसका निर्यात किया जाता है।
वही आईग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने मीडिया से बताया कि सरकार का ये कदम स्वागत योग्य है, इससे काबुली चना के निर्यात में मदद मिलेगी। भारत ने इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल-मई के दौरान 39,634 टन काबुली चना निर्यात किया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 44,977 टन से कम है। 2023-24 के दौरान, भारत का काबुली चना निर्यात पिछले वर्ष के 1.21 लाख टन से कम होकर 99,158 टन रह गया।
आपको बता दें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चना उत्पादक देश है। दुनिया के कुल उत्पादन का 75 फीसदी से अधिक चने का उत्पादन भारत करता है। भारत में दालों की खेती में चने की हिस्सेदारी कुल उत्पादित दालों में 50 फीसदी की है।
भारत के बाद ऑस्ट्रेलिया में 6 फीसदी, टर्की,इथोपिया, म्यामांर में 3-3 फीसदी चने का उत्पादन होता है।
देश में चने की पैदावार की बात करें तो मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 28 फीसदी चने का उत्पादन होता है। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र 19 फीसदी, तीसरे पर राजस्थान 18 फीसदी, चौथे नंबर पर कर्नाटक 9 फीसदी और यूपी में 5 फीसदी चने की पैदावार होती है।
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