जहां एक ओर खेती के लिए महंगे डीएपी और यूरिया को लेकर किसान परेशान रहते हैं, वहीं राजस्थान में गुड़, गाय का गोबर और छांछ से सरल खाद बनाकर ये दावा किया जा रहा है कि इसके प्रयोग से खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य तो सही रहेगा ही साथ ही उत्पादन में भी कमी नहीं आयेगी. इस सरल खाद को जैविक खेती के लिए बहुत ही उपयोगी बताया जा रहा है.
राजस्थान के कोटा के श्री रामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान संस्थान एवं प्रशिक्षण केन्द्र के मुख्य प्रबंधक डॉ. पवन टांक द्वार इस सरल खाद को बनाया गया है . डॉ. पवन बताते हैं कि गुड़, गाय का गोबर और छांछ से बना यह सरल खाद सस्ता भी है, जिसे ग़रीब से ग़रीब किसान इसे बना सकता है और अपने खेत में इस्तेमाल कर सकता है.

वो कहते हैं न किसी भी फसल में जैसा खाद पानी डालोगे वैसा उत्पादन होगा. मतलब अच्छा उत्पादन के लिए पानी जितना महत्वपूर्ण है उतना खाद भी है. इसलिए खाद को लेकर किसान हमेशा परेशान रहते हैं कि कौन सी डालें, कितनी मात्रा में डालें. इसे लेकर डॉ. पवन ने न्यूज़ पोटली से विस्तार से बात की है. उन्होंने सबसे पहले खाद बनाने की विधि बतायी है.
खाद बनाने की विधि
उनके मुताबिक़ खाद बनाने के लिए सबसे पहले आप 1 टन (10 कुंटल) गाय, भैंस, बैल, भेड़, बकरी किसी भी पशु का गोबर ले सकते हैं या किसी भी फसल का अवशेष भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसका एक जगह पर ढेर बना लें. उसके बाद एक ड्रम में 200 लीटर पानी लें , उसमें 2 किलो गुड़ का घोल, 30 किलो गाय ताज का गोबर और 30 लीटर गाय या भैंस की छांछ को पानी में मिला लें. इस घोल को अच्छे तरीक़े से मिलकर जो आपने 1 टन (10 कुंटल) पशु का गोबर या कोई फसल अवशेष लिया है उसपर अच्छे से डाल दें. ऐसे डालें की घोल नीचे तक जाये. फिर इसको किसी पुआल या प्लास्टिक या किसी फसल अवशेष से अच्छे से ढक दें.

45 दिनों में तैयार होगा यह खाद
अब प्रश्न है कि यह खाद कितने दिनों में तैयार होगी? इस पर डॉ. पवन बताते हैं कि मात्र 45 दिनों के बाद आप इस खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन ये तभी संभव होगा जब आप इस बात का ध्यान रखेंगे कि उसपर सूरज की सीधी किरणें ना पड़े और ना ही बारिश का पानी. तभी यह 45 दिनों में तैयार होगा अन्यथा ज़्यादा समय भी लग सकता है. डॉ. पवन ने बताया कि इस खाद को बनने के लिए सही तापमान 35 डिग्री है.
ये भी पढ़ें -बढ़ती गर्मी से क्या कम होगी गेहूं की पैदावार?
प्रति एकड़ 5 टन खाद का इस्तेमाल करें
खेतों में इसके इस्तेमाल को लेकर डॉ. पवन ने बताया कि अगर किसान जैविक खेती कर रहे हैं तो उनको प्रति एकड़ यह खाद 5 टन डालनी चाहिए. उन्होंने बताया कि किसानों को यह भय रहता है कि जैविक खेती में पहले साल उत्पादन कम होता है, लेकिन ऐसा नहीं है आप यह खाद डालेंगे तो आपको दूसरी फर्टिलाइजर प्रयोग करने पर जैसा उत्पादन मिलता है वैसा ही मिलेगा. लेकिन यह उससे ज़्यादा फ़ायदेमंद है क्योंकि यह आपकी खेत की मिट्टी ख़राब नहीं होने देगा, दूसरा यह खाद सस्ता है और तीसरा बाज़ार में जैविक उत्पाद की क़ीमत ज़्यादा है तो आपकी अच्छी कमाई भी होगी है.

खाद बनाने में गाय का गोबर क्यों ज़रूरी है?
डॉ. पवन ने बताया कि देश में प्रचलित 14 प्रकार की खादों पर शोध करने के बाद यह गुड़, गाय का गोबर और छांछ से सरल कंपोस्ट खाद तैयार की गई है. इसकी गुणवत्ता वर्मी कम्पोस्ट खाद से ज्यादा पायी गई है. इसे बनाने के लिए किसी कल्चर या डिकंपोजर की जरुरत नहीं है और गौमूत्र की भी जरुरत नहीं है. उन्होंने बताया कि इसमें हम गाय का गोबर इसलिए इस्तेमाल करते हैं क्योंकि गाय के गोबर में ही वो वैक्टीरिया और फंगस पाये जाते हैं जिसकी ज़रूरत है खाद बनाने बनाने के लिए.
वीडियो देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।