’21वीं सदी का भारत अपने समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है, डॉ. एमएस स्वामीनाथन ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया था, लेकिन आज की आवश्यकता सिर्फ़ खाद्यान्न की नहीं, बल्कि पोषक आहार सुरक्षा की है, ताकि हर भारतीय को पर्याप्त भोजन के साथ स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी पोषण भी मिले’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज, गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कृषि के क्षेत्र में स्वामीनाथन के योगदान को स्मरण करते हुए किसानों के भविष्य, उनकी आय वृद्धि और हितों को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
इस अवसर पर अपने भावुक संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाइयों-बहनों के हितों के साथ कभी समझौता नहीं करेगा।
‘बड़ी कीमत चुकाने के लिए हम तैयार है ‘
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि वे जानते हैं कि व्यक्तिगत रूप से उन्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन वो इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरे देश के किसानों के लिए, मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए भारत तैयार है। किसानों की आय बढ़ाने, खेती पर खर्च कम करना, आय के नए स्त्रोत बनाने के लक्ष्यों पर हम लगातार काम कर रहे हैं।’
ये भी पढ़ें – यूरिया का इस्तेमाल कम करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है सरकार, वैकल्पिक उर्वरकों को किया अधिसूचित
किसानों में भरोसा बढ़ाने का प्रयास किया
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने किसानों की ताकत को देश की प्रगति का आधार माना है। इसलिए बीते वर्षों में जो नीतियां बनी, उनमें सिर्फ मदद नहीं थी, किसानों में भरोसा बढ़ाने का प्रयास भी था। पीएम किसान सम्मान निधि से मिलने वाली सीधी सहायता ने छोटे किसानों को आत्मबल दिया है। वहीं पीएम फसल बीमा योजना ने किसानों को जोखिम से सुरक्षा दी है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में पीएम धन धान्य योजना को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत उन 100 जिले को चुना गया है, जहां खेती पिछड़ी रही। यहां सुविधाएं पहुंचाकर, किसानों को आर्थिक मदद देकर, खेती में नया भरोसा पैदा किया जा रहा है।
’10 हजार एफपीओ के निर्माण ने छोटे किसानों की संगठित शक्ति बढ़ाई’
पीएम मोदी ने आगे कहा कि सिंचाई से जुड़ी समस्याओं को पीएम कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से दूर किया गया है। 10 हजार एफपीओ के निर्माण ने छोटे किसानों की संगठित शक्ति बढ़ाई है। कॉपरेटिव और सेल्फ हेल्प ग्रुप को आर्थिक मदद ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दी है। ई-नाम की वजह से किसानों को अपनी उपज बेचने में आसानी हुई है।
जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का किया जिक्र
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आप जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से अवगत हैं। हमें जलवायु-प्रतिरोधी फसलों की यथासंभव अधिक से अधिक किस्में विकसित करने की आवश्यकता है। हमें ताप-प्रतिरोधी फसलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हमें किफायती मृदा परीक्षण उपकरणों की भी आवश्यकता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।