चक्रवाती तूफान दितवाह दक्षिण भारत के तटीय राज्यों के करीब पहुंच रहा है, जिससे तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश और केरल में भारी बारिश, तेज हवाएं और समुद्र में ऊंची लहरों का खतरा बढ़ गया है। मौसम विभाग ने कई इलाकों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है और मछुआरों को 1 दिसंबर तक समुद्र में न जाने की सलाह दी है।
दक्षिण भारत के कई राज्यों में चक्रवाती तूफान दितवाह (Ditwah) का असर तेज होता जा रहा है। यह तूफान श्रीलंका और दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के पास सक्रिय है और 30 नवंबर की सुबह तक तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों के पास पहुंच सकता है। इसी वजह से मौसम विभाग ने कई राज्यों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। समुद्र में ऊंची लहरें उठ रही हैं और हवाएं तेज हैं, इसलिए मछुआरों को 1 दिसंबर तक समुद्र में न जाने की सख्त चेतावनी दी गई है।
1 दिसंबर तक भारी बारिश
तमिलनाडु और पुडुचेरी में 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक भारी बारिश और तेज हवाएं चल सकती हैं। तटीय इलाकों में 28 से 30 नवंबर तक पेड़ गिरने, पानी भरने और ट्रैफिक रुकने जैसी स्थिति बन सकती है। यहां हवा की रफ्तार 70–90 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है। वहीं आंध्र प्रदेश और रायलसीमा में भी 29 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच भारी बारिश का अनुमान है। यहां भी हवाएं 60–80 किमी/घंटा तक चल सकती हैं। वहीं केरल, तेलंगाना और दक्षिण कर्नाटक में भी बारिश और तूफानी हवाओं की संभावना है।
उत्तर भारत में ठंड और कोहरे में बढ़ोतरी
दूसरी ओर, उत्तर भारत में ठंड और घने कोहरे की शुरुआत हो चुकी है। हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान और यूपी में अगले कुछ दिनों तक सुबह दृश्यता कम रह सकती है। राजस्थान में 3 से 5 दिसंबर के बीच शीतलहर चलने का अनुमान है।दिल्ली-एनसीआर में तापमान लगातार गिर रहा है और आने वाले दिनों में दिन का तापमान 23–26°C और रात का तापमान 8–12°C के बीच रह सकता है।
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तूफान से खतरा और नुकसान की आशंका
दितवाह तूफान के कारण दक्षिण भारत में भारी बारिश, तेज हवाएं, जलभराव, बिजली के खंभे और पेड़ गिरने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की भी आशंका है।
किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह
मौसम विभाग ने किसानों को सतर्क रहने और खेती में ये कदम अपनाने की सलाह दी है।तमिलनाडु में धान, गन्ना, कपास और सब्जियों के खेतों से तुरंत अतिरिक्त पानी निकालें।केला और पपीता के पौधों को सहारा देकर बांधें ताकि वे गिरें नहीं।केरल में धान और सब्जियों में पानी की निकासी पर जोर दें।आंध्र प्रदेश में जहां धान पक चुका है, वहां तुरंत कटाई करें और सुरक्षित जगह रखें।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।