अगर आप भी आम की बाग़वानी करते हैं तो यह जनवरी का समय आपके लिये अहम है. आधी जनवरी बीतने के बाद आम के पेड़ों पर बौर आने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में आम के बगीचे में कीटों और रोगों का ख़तरा बढ़ जाता है. इस लिए बगीचे में खाद-पानी देने से लेकर कीट-रोगों तक से निपटने का ये बिल्कुल सही समय माना जाता है. बिहार कृषि विभाग के मुताबिक़ इस समय आम के बौर पर मधुआ कीट, दहिया कीट, पाऊडरी मिल्ड्यू और एन्थ्रेक्नोज जैसे रोगों का ख़तरा बढ़ जाता है. इन रोगों से बचाव के लिए कृषि विभाग ने बागवानों को कुछ सलाह दिये हैं.
बिहार कृषि विभाग के मुताबिक़ आम के पेड़ों पर मंजर आने के समय बुंदा-बादी हो जाने पर घुलनशील सल्फर, कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करना चाहिए. बागवान इस बात का ख़्याल रखें कि छिड़काव के समय घोल में स्टीकर का इस्तेमाल अवश्य करें. फल और मंजर को पेड़ से गिरने से बचाने के लिए बागवान को अल्फा नेपथाईल एसीटिक एसीड का सही मात्रा में छिड़काव करना चाहिए.
विभाग के अनुसार बताए हुए कीटनाशक और फफूंदनाशी का बाग में तीन बार छिड़काव करना चाहिए पहला फूल आने से पहले, दूसरा फूलों में सरसों जैसे दाने लग जाने के समय और तीसरा जब आम के टिकोले मटर के दाने के बराबर हो जाएं तब.
इसके अलावा बागवान चाहें तो पौधों में अच्छे ग्रोथ के लिए पीजीआर यानी प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का उपयोग
अल्फा-नेपथाईल एसीटिक एसीड 4.5% एसएल का इस्तेमाल दूसरे और तीसरे छिड़काव में कर सकते हैं. इसकी 4 मि.ली मात्रा को प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते है.
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किस कीटनाशक का कितना इस्तेमाल करें
* इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल – 1 मि.ली मात्रा को 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं.
* डाइमेथोएट 30% ईसी – 1 मि.ली मात्रा को एक लीटर पानी के हिसाब से घोलकर छिड़काव कर सकते हैं.
* थायोमेथाक्साम 25% डब्ल्यूजी – 1 ग्राम मात्रा को हर 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं.
फफूंदनाशी का इस्तेमाल ऐसे करें
* सल्फर 80% की 3 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
* कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% की 3 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी मैं घोल लें.
* कार्बेन्डाजिम 50% की 1 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
* हेक्साकोनाजोल 5% एससी की 2 मि.ली मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर इस्तेमाल कर सकते हैं.
किसान अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर (टोल फ्री नंबर: 1800-180-1551) पर या अपने जिले के सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण से संपर्क कर सकते हैं।
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