किसानों की लंबित मांगों को लेकर केंद्र सरकार के साथ संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) से जुड़े किसान नेताओं की बैठक ख़त्म हुई। हर बार की तरह इस बार भी बैठक बेनतीजा रही। इस बैठक में भी किसानों की मांगों को लेकर कोई सहमती नहीं बन पाई है। अब चार मई को केंद्र और किसानों के साथ फिर बैठक होगी। यह बैठक चंडीगढ़ सेक्टर-26 के महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट में हुई। बैठक में दोनों किसान संगठनों के 28 सदस्य भाग पहुंचे थे। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, पीयूष गोयल, प्रहलाद जोशी मौजूद रहे।
बैठक होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों के साथ अच्छे माहौल में बैठक हुई गई। अब 4 मई को अगली बैठक करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अनुसार किसानों की तरफ से सबमिट की गई रिपोर्ट पर सभी हितधारकों की राय लेनी जरूरी है, क्योंकि अगर एमएसपी को लेकर जो भी फैसला लिया जाएगा, वो देश भर में लागू होगा।
कौन कौन था बैठक में?
इस बैठक में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, पीयूष गोयल, प्रहलाद जोशी मौजूद रहे जबकि उनके साथ कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी भी थे। इसके अलावा कृषि मंत्रालय के अधिकारी भी थे। पंजाब के मंत्री गुरमीत खुड़ियां और हरपाल चीमा मीटिंग में मौजूद रहे। उधर किसानों की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवन सिंह पंधेर मौजूद थे। इन दोनों नेताओं की अगुवाई में 28 किसान नेता चंडीगढ़ मीटिंग में पहुंचे थे।
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किसान नेताओं ने क्या कहा?
बैठक के बाद किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने मीडिया से बात कर कहा कि चूंकि केंद्र सरकार के पास एमएसपी कानूनी गारंटी के कार्यान्वयन के बारे में कुछ मुद्दे थे, इसलिए केंद्र सरकार ने चर्चा के लिए समय मांगा और अगली बैठक 4 मई को होगी।
सरवन पंधेर ने कहा, तीन घंटे की बैठक एमएसपी कानूनी गारंटी पर केंद्रित थी। हमें नहीं लगता कि एमएसपी के कार्यान्वयन में कोई समस्या आएगी, लेकिन सरकार को ऐसा लगता है, इसलिए उन्होंने 4 मई तक का समय मांगा है। इसलिए हमने उनसे कहा कि वे आगे बढ़ें और समय लें।
आंदोलन का मुद्दा क्या है?
किसान लगभग पिछले एक साल से शंभु और ख़नौरी बॉर्डर पर एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, किसानों के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने, उत्तर प्रदेश में 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
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