दिल्ली। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत अचानक बिगड़ गई है। वे पिछले 25 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर MSP गारंटी कानून समेत 13 मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर थे। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि नाजुक हालत होने के बावजूद किसान नेता जगजीत सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही से जुड़े थे, लेकिन उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने अपनी भावना लिखित रूप में ईमेल और डाक/पोस्ट के माध्यम से माननीय सुप्रीम कोर्ट को भेज दी है।
किसान नेता जगजीत सिंह ने कहा “वे 25 दिनों से कुर्बानी के रास्ते पर चल रहे हैं, और इस रास्ते की आखिरी मंजिल MSP गारंटी कानून या मेरी मौत है। वे अपनी अंतिम सांस तक इस रास्ते पर चलते रहेंगे।” जगजीत सिंह संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन के MSP गारंटी कानून समेत 13 मांगों को लेकर आमरण अनशन पर थे।
जगजीत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को लिखा पत्र
जगजीत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र में कहा “आप केंद्र सरकार को जरूरी दिशा-निर्देश दें कि संसद की कमेटी की रिपोर्ट और किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए MSP गारंटी कानून बनाया जाए, जिससे किसानों की आत्महत्या रुक सके। उन्होंने यह भी कहा कि हम जिन मुद्दों पर आंदोलन कर रहे हैं, ये केवल हमारी मांगें नहीं हैं, बल्कि अलग-अलग सरकारों द्वारा किए गए वायदे हैं। पहले केवल किसान और खेतिहर मजदूर ही MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे थे, लेकिन अब खेती से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने भी अपनी रिपोर्ट (पहला वॉल्यूम, प्वाइंट 7, पेज 54) में स्पष्ट किया है कि MSP गारंटी कानून बनाया जाना चाहिए, जिससे किसानों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और देश को बहुत फायदा होगा।
2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने लागू नहीं की सिफारिश
जगजीत सिंह ने अपने पत्र में लिखा “ 2011 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से सिफारिश की थी कि किसी व्यापारी द्वारा किसान की फसल MSP से नीचे न खरीदी जाए और इसके लिए कानून बनाना चाहिए, लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने यह सिफारिश लागू नहीं की। स्वामीनाथन आयोग की 2006 की रिपोर्ट भी 2014 तक लागू नहीं हुई, हालांकि मोदी ने 2014 के चुनाव प्रचार में वादा किया था कि वे फसलों MSP को C2+50% फॉर्मूले के अनुसार तय करेंगे। लेकिन बीजेपी 2014 के बाद 2015 में सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने हलफनामा दिया कि वे इसे लागू नहीं कर सकते।
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केंद्र सरकार ने 3 महीने में स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करने का किया था वादा
2018 में अन्ना हजारे और जगजीत सिंह ने दिल्ली में आमरण अनशन किया था, और सरकार ने तीन महीने में स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करने का वादा किया था, लेकिन यह वादा भी पूरा नहीं हुआ। उस समय तत्कालीन कृषि मंत्री माननीय राधा मोहन सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री माननीय देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से माननीय डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा हस्ताक्षरित चिट्ठी आंदोलनकारी नेताओं को सौंपी थी, जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि केंद्र सरकार 3 महीने में स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले को लागू करेगी, लेकिन 6 साल बीत जाने के बावजूद आज तक इसे लागू नहीं किया गया।
2020-2021 में 378 दिनों तक चले आंदोलन को स्थगित करते समय 9 दिसंबर 2021 को एक चिट्ठी कृषि मंत्रालय द्वारा हमें सौंपी गई थी, जिसमें हर किसान के लिए MSP सुनिश्चित करने, खेती कार्यों को प्रदूषण कानून से बाहर निकालने, लखीमपुर खीरी के घायलों को उचित मुआवजा देने, बिजली बिल को संसद में पेश करने से पहले किसानों से चर्चा करने और आंदोलनकारी किसानों पर आंदोलन से संबंधित मुकदमे वापस लेने समेत कई लिखित वायदे किए गए थे, जो आज तक अधूरे हैं।
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