भारत सरकार 1 अप्रैल से चना पर फिर से आयात शुल्क लागू करने को मंजूरी दी है। केंद्र सरकार का मानना है कि यह किसानों और आम जान दोनों के हित में है। लेकिन दूसरी तरफ, उद्योग जगत सरकार के इस फैसले से नाखुश है क्योंकि उन्हें लगता है कि आयात को प्रभावित करने के लिए यह टैक्स काफी कम है। आपको बता दें कि इस साल चने की अधिक पैदावार की उम्मीद है इसलिए सरकार ने इसपर 10 प्रतिशत की इंपोर्ट ड्यूटी लगाई है।
केंद्र सरकार के इस निर्णय पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के कारण सस्ता चना विदेश से नहीं आयेगा। इससे हमारे किसानों को उचित दाम मिलेंगे। चौहान ने बताया कि इस वर्ष चने का भी बंपर उत्पादन हुआ है। कृषि के 2024.25 के अग्रिम अनुमान के अनुसार चने का उत्पादन 115 लाख मीट्रिक टन से अधिक होगा जबकि पिछले साल 110 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था। उन्होंने कहा कि किसानों को उसके उत्पादन के ठीक दाम दें, इसलिए न केवल उत्पादन की लागत पर 50 प्रतिशत लाभ देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य -एमएसपी घोषित की जाती है बल्कि खरीदने की भी उचित व्यवस्था की जाती है। किसान के उत्पाद की कीमत घटने पर हम आयात निर्यात नीति को भी किसान हितैषी बनाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों आयतित मसूर आई थी जिस पर जीरो प्रतिशत आयात शुल्क था जिससे कीमतें कम होती और किसान को घाटा होता इसलिए सरकार ने फैसला किया कि आयतित मसूर पर आयात शुल्क 11 प्रतिशत वसूली जायेगी।
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27.99 लाख टन चना खरीदने को भी मंजूरी
चने पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने का निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब चना की फसल की कटाई चल रही है और इसका भार-औसत मूल्य 5,461 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,650 रुपये है। हालांकि, ज्यादातर कृषि-उत्पाद विपणन समिति यार्ड, खासकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में चने की कीमतें एमएसपी से नीचे चल रही हैं। सरकार के इस फैसले से चने की कीमतों में गिरावट रुकने की संभावना है और किसानों के हितों की रक्षा होगी।सरकार ने 2025 रबी सीजन के लिए एमएसपी पर कुल 27.99 लाख टन चना खरीदने को भी मंजूरी दी है।
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चने पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के कारण सस्ता चना विदेश से नहीं आयेगा: शिवराज सिंह चौहान
