केंद्र सरकार ने सब्जियों और फलों में पशु अपशिष्ट से बने खाद के इस्तेमाल की अनुमति वापस ले ली है। 13 अगस्त 2025 को इसे मंजूरी दी गई थी, लेकिन जैन समाज और शाकाहारी समुदाय के विरोध के बाद 30 सितंबर को आदेश रद्द कर दिया गया। कृषि मंत्रालय ने जांच कर 150 से अधिक कंपनियों के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाई है। इस फैसले का जैन और शाकाहारी समाज ने स्वागत किया है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार (30 सितंबर 2025) को बड़ा फैसला लेते हुए खेतों में सब्ज़ी और फल उत्पादन के लिए पशु अपशिष्ट से बने खाद के इस्तेमाल की अनुमति वापस ले ली। पिछले महीने 13 अगस्त को सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर इस खाद को मंजूरी दी थी, लेकिन इसके खिलाफ देशभर में जैन समाज और शाकाहारी समुदाय ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था।
क्या था विवाद?
13 अगस्त की अधिसूचना के तहत सरकार ने स्लॉटरहाउस से निकले मांस, हड्डियों और चमड़े के अवशेष से तैयार 11 तरह के बायोस्टिमुलेंट (खाद) को खेती में उपयोग करने की अनुमति दी थी। इनमें आलू, टमाटर, गोभी, मिर्च, सोयाबीन और धान जैसी फसलों के लिए इन खादों को सुझाया भी गया था। इस आदेश के बाद देशभर की सैकड़ों कंपनियों ने ऐसे बायोस्टिमुलेंट का उत्पादन शुरू कर दिया।
धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला
इस आदेश के खिलाफ जैन समाज और शाकाहारी लोगों ने कहा कि बूचड़खानों से बने अवशेष से तैयार खाद का उपयोग करने से सब्ज़ियां और फल मांसाहारी हो जाएंगे। इसे धार्मिक मान्यताओं और शाकाहार के सिद्धांतों के खिलाफ बताया गया। श्रमण डॉ. पुष्पेंद्र ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की थी।
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सरकार की सख्ती
विरोध के बाद केंद्र सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच करवाई। कृषि मंत्रालय ने देशभर में खाद कंपनियों के बायोस्टिमुलेंट की जांच की और पशु स्रोत वाले खाद की पुष्टि होने पर 150 से अधिक कंपनियों के उत्पादन, बिक्री, आयात और भंडारण पर रोक लगा दी।
नया नोटिफिकेशन
30 सितंबर को जारी नए नोटिफिकेशन में स्पष्ट कर दिया गया कि पशु स्रोत से बने खाद को अब अधिकृत सूची से हटा दिया गया है। यानी, ऐसे किसी भी बायोस्टिमुलेंट का उत्पादन, बिक्री, प्रदर्शन या स्टॉक अब प्रतिबंधित होगा।
समुदाय की प्रतिक्रिया
सरकार के इस फैसले से जैन समाज और शाकाहारी लोगों ने राहत की सांस ली है। उन्होंने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे उनकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान हुआ है और नैतिक रूप से सही निर्णय लिया गया है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।