प्याज के एक्सपोर्ट को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट के लिए पहले तय की गई मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) हटा दी। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज की अधिकता के बीच भारतीय किसानों को स्थितियों का फायदा उठाने में मदद मिलेगी।
केंद्र सरकार प्याज एक्सपोर्ट से पहले तय की गई मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) हटा दी है।सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट पर पहले मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस(MEP) के तौर पर 550 डॉलर प्रति टन की सीमा तय की थी।इसका मतलब यह था कि किसान इस दर से कम कीमत पर अपनी उपज विदेश में नहीं बेच सकते थे। यानी अब भारत से प्याज किसी भी दाम पर एक्सपोर्ट किया जा सकता है। इसके साथ ही एक्सपोर्ट पर लगी 40 परसेंट की ड्यूटी को घटाकर 20 फीसदी कर दिया गया है।सरकार के इस कदम से प्याज के निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
आपको बता दें कि वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 में 31 जुलाई 2024 तक कुल 2.60 लाख टन प्याज का निर्यात किया जा चुका है। जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 17.17 लाख टन प्याज का निर्यात किया था।
कब लगायी गई थी MEP?
केंद्र सरकार ने प्याज के दाम में कमी करने के लिए अगस्त 2023 में पहली बार 40 परसेंट एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई थी। जिसका पूरे महाराष्ट्र में जमकर विरोध हुआ था। जबकि 550 डॉलर प्रति टन की MEP वाली शर्त इस साल 4 मई को उसी समय लगाई गई थी जब सरकार ने लोकसभा चुनाव के वक्त एक्सपोर्ट बैन को खत्म किया था।
प्याज़ का औसत मूल्य 50.83 रुपये प्रति किलोग्राम
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार शुक्रवार को प्याज का औसत मूल्य 50.83 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि मॉडल मूल्य 50 रुपये प्रति किलोग्राम है। प्याज का अधिकतम मूल्य 83 रुपये प्रति किलोग्राम है और न्यूनतम मूल्य 28 रुपये प्रति किलोग्राम है। केंद्र ने 5 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और मुंबई के उपभोक्ताओं को प्याज की बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिए 35 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर प्याज की खुदरा बिक्री का पहला चरण शुरू किया।
राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (NCCF) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) ने अपने स्टोर और मोबाइल वैन के माध्यम से खुदरा बिक्री शुरू कर दी है। ये सरकार की ओर से 4.7 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाए हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि आने वाले महीनों में प्याज की उपलब्धता और कीमतों का परिदृश्य, सकारात्मक बना हुआ है. इसका कारण खरीफ (गर्मी) की बुवाई का रकबा पिछले महीने तक 2.9 लाख हेक्टेयर तक बढ़ गया है, जबकि एक साल पहले इस समय तक यह 1.94 लाख हेक्टेयर था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, लगभग 38 लाख टन प्याज का भंडार अभी भी किसानों और व्यापारियों के पास होने की रिपोर्ट है।
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