कृषि विभाग बिहार ने लत्तेदार सब्जियों को रोगों से बचाव के लिए दिए सुझाव

लत्तेदार सब्जियों में लगने वाले रोगों से बचाव के लिए कृषि विभाग ने उपाय सुझाए हैं। इस तरह लत्तेदार सब्जियों में लगने वाले रोगों से बचाव कर सकते हैं।

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कद्दूलाल भृंग
यह कीट नारंगी पीठ और काले उदर वाला होता है। इसके शिशु पौधों की जड़ों को खाते हैं, जबकि वयस्क कीट पत्तियों, फूलों और नए पौधों को नुकसान पहुँचाते हैं।


प्रबंधन:
पत्तियों के ऊपर सुबह में राख का छिड़काव करें और वयस्क कीटों को इकट्ठा कर जला दें।
फेनभेलरेट 0.4 प्रतिशत धूल का 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।

फलमक्खी
यह भूरे रंग की मक्खी है, जिसका पिल्लू फलों के भीतरी हिस्से को खाता है।
प्रबंधन:
लाईफ टाइम ट्रैप प्रति हेक्टेयर 8-10 की संख्या में प्रयोग करें।
मिट्टी के बर्तन में गुड़, ताड़ी और कीटनाशी की दो बूंदें डालकर जगह-जगह लटका दें।

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पाउडरी फफूँद रोग
यह पौधों को सुखाने वाला फफूँद जनित रोग है, जिसमें पत्तियों पर बहुत छोटे सफेद धब्बे बनते हैं, जो बाद में सफेद चूर्ण का रूप ले लेते हैं।


प्रबंधन:
खेत को खरपतवार से मुक्त रखें।
सल्फर 80 घुलनशील चूर्ण का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

डाउनी फफूँद रोग
इस रोग में पत्तियों पर पीले धब्बे नजर आते हैं, और पत्तियों के नीचे सफेद फफूँद का जाल दिखाई देता है, जो पत्तियों को सूखा कर वृद्धि को रोक देता है।


प्रबंधन:
खेत को खरपतवार और फसल अवशेष से मुक्त रखें।
मैंकोजेब 75 घुलनशील चूर्ण का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

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