कृषि विभाग बिहार ने मक्का के फसल में लगने वाले रोगों से बचाव के लिए दिया सुझाव

मक्के के फसल में लगने वाले फॉल आर्मी वर्म कीट की पहचान एवं प्रबंधन कृषि विभाग ने उपाय सुझाए हैं। इस तरह मक्के के फसल में लगने वाले रोगों से बचाव कर सकते हैं।

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पहचान:

  • हरे, जैतून, हल्के गुलाबी या भूरे रंग के लार्वा।
  • लार्वा के प्रत्येक उदर खंड में चार काले धब्बे।
  • सिर पर आँखों के बीच में ” \ ” आकार की संरचना।
  • फॉल आर्मी वर्म के लार्वा शुरूआत में पत्तियों की सतह को खुरचकर खाते हैं।
  • लार्वा के खाने की प्रवृत्ति के कारण पत्तियों पर कटे-फटे छिद्र बन जाते हैं।

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प्रबंधन:

  1. फॉल आर्मी वर्म कीट नियंत्रण हेतु प्रति हेक्टेयर 10 फेरोमोन फंदों का प्रयोग करें।
  2. 5 प्रतिशत नीम बीज कर्नेल इमल्शन (NSKE) अथवा एजाडिराक्टिन 1500 पीपीएम का 5 मिली/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  3. निम्नलिखित रासायनिक कीटनाशकों में से किसी एक का छिड़काव कर सकते हैं:
    • स्पिनेटोरम 11.7 प्रतिशत एस.सी. @ 0.5 मिली/लीटर पानी।
    • क्लोरें ट्रोनिलिप्रोएल 18.5 एस.सी. @ 0.4 मिली/लीटर पानी।
    • थियामेथोक्साम 12.6 प्रतिशत + लैम्बडा साइहैलोथ्रीन 9.5 प्रतिशत जेड सी @ 0.25 मिली/लीटर पानी।
  4. इस कीट के लार्वा का अत्यधिक प्रकोप होने पर केवल विशेष चारा (फँसाने हेतु जहरीला पदार्थ चुग्गा) ही प्रभावी होता है। 2-3 लीटर पानी में 10 किलो चावल की भूसी और 2 किलो गुड़ मिलाकर मिश्रण को 24 घंटे तक (किण्वन) के लिए रखें। प्रयोग से आधे घंटे पहले 100 ग्राम थार्योडिकार्ब 75 प्रतिशत WP मिलाकर 0.5-1 सेमी व्यास के आकार की गोलियाँ तैयार करें और विशेष चारा को शाम के समय पौधे की गम्भा (Whorl) में प्रति एकड़ की दर से डालें।

विशेष सूचना:

  • ड्रोन से छिड़काव करने पर किसान भाई को 240 रूपये प्रति एकड़ की दर से अधिकतम 10 एकड़ तक अनुदान मिलेगा। इसके संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए किसान अपने सहायक निदेशक, पौध संरक्षण / जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर प्राप्त कर सकते हैं।

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