तेलंगाना सरकार का ऐलान, 15 अगस्त को शुरू होगी रायतू बीमा स्कीम, 48 लाख किसानों को फायदा

कल 15 अगस्त 2024 को तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार राज्य के किसानों के लिए एक बड़ी योजना शुरू करने जा रही है। राज्य सरकार किसानों के लिए रायतु बीमा योजना शुरू करने जा रही है। इस योजना के तहत किसानों का 5 लाख रुपये का बीमा किया जाएगा और खास बात ये है कि इस योजना का लाभ राज्य के 48 लाख किसानों को मिलेगा।

फिलहाल इस योजना से जुड़ने के लिए राज्य में पात्र किसानों की संख्या 47.87 लाख है। सरकार के अनुसार, इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसी भी कारण से अपनी जान गँवाने वाले किसानों के परिवार के सदस्यों / आश्रितों को आर्थिक राहत और सामाजिक सुरक्षा देना है। राज्य के किसानों को बीमा योजना का लाभ दिलाने के लिए पिछली BRS सरकार ने बीमा एजेंसी के तौर पर LIC को चुना था। साथ ही प्रीमियम के तौर पर 3,600 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
हालांकि रेवंत रेड्डी की अगुवाई में चल रही वर्तमान कांग्रेस सरकार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि प्रीमियम के तौर पर बीमा एजेंसी को कितने रुपये का भुगतान किया जाएगा। 

इस बीमा योजना के तहत अगर किसी किसान की अचानक मौत हो जाती है तो मृतक किसान के परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ योजना के तहत पात्र किसानों की सूची तैयार कर ली गई है। अधिकारियों ने कहा कि 20 जुलाई तक किसानों की अपडेटेड सूची की जांच कर ली गई है। इस नई लिस्ट से उन किसानों का नाम हटा दिया गया है जिन्होंने 60 साल की आयु पूरी कर ली है।

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18 से 59 साल तक के किसान रायतु बीमा योजना का लाभ लेने के पात्र होंगे। योजना के तहत किसानों से राज्य सरकार ने इस साल 9 अगस्त तक आवेदन मंगाए थे। इसी दौरान पात्र किसानों की पहचान की गई। जिन किसानों के पास पट्टादार पासबुक
(पट्टाधर पासबुक एक छोटी-सी पुस्तक के रूप में एक दस्तावेज़ प्रकार है जिसमें भूस्वामी के सभी विवरण होते हैं )हैं, उनमें से सिर्फ 2.3 लाख किसानों ने ही आवेदन दिया था।

कृषि विभाग ने 28 जून तक जारी किए गए 3.22 लाख नए पट्टादार पासबुक की पहचान की है। पट्टादार पासबुक धारण करने वाले किसानों की संख्या 75 लाख है। इससे पहले इस योजना की पात्रता रखने के बावजूद 7.7 लाख किसानों ने स्कीम का लाभ लेने के लिए आवेदन नहीं किया था। अधिक किसानों को इस योजना से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा दोबारा आवेदन की अनुमति दी गई। इसके बाद भी सिर्फ 73 हजार किसानों ने आवेदन किया था।
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