लखनऊ (उत्तर प्रदेश): टमाटर की महंगाई सुर्खियां में बनी हुई है। एक महीने पहले तक जिस टमाटर को कोई पूछने वाला नहीं था वो फुटकर में 120 रुपए किलो तक बिक रहा है। महाराष्ट्र की कई मंडियों में आज 25 किलो टमाटर की एक कैरेट 2400 रुपए तक बिक गई है, यानि थोक भाव में भी टमाटर 100 रुपए किलो तक पहुंच गया है। किसानों के मुताबिक ज्यादातर किसानों के खेतों में मौसम और फसल चक्र के चलते मौजूदा फसल खत्म हो रही हैं, सप्लाई कम और मांग ज्यादा होने के चलते रेट ऊपर जा रहे हैं।
बाराबंकी के किसान सतेंद्र वर्मा के पास एक एकड़ के तिहाई हिस्से में टमाटर लगा था, जो अब खत्म होने के कगार पर है। आसमान छूती टमाटर की कीमतों से हो रहे फायदे के बारे में पूछने पर सतेंद्र कहते हैं, “जब टमाटर महँगा हुआ तो हमारे खेत में माल नहीं है, 15-20 दिन पहले रोज़ 10- 20 कैरेट माल निकलता था तो 3 रुपए से 10 रुपए किलो में बेचना पड़ रहा था, अब 100 रुपए का भाव है तो खेत से 2 कैरेट (प्रति कैरेट 25 किलो) मुश्किल से निकल रही। भाव इसीलिए बढ़ा है क्योंकि ज़्यादातर किसानों के खेत में फसल ख़त्म हो गई है, इसका कोई ख़ास फ़ायदा नहीं।”
अपने हाथ में ली बाल्टी को दिखाते हुए सतेंद्र आगे कहते हैं, अगर ये रेट 10-15 दिन पहले आ जाता तो किसानों को काफी फायदा हो सकता था, लेकिन पहले रेट नहीं था, और कुछ दिनों पहले हुई बारिश में जब फसल चौपट हो गई तो रेट बढ़ गए हैं। अब तो 2-4 दिन में मैं भी खेत जोतकर धान लगा दूंगा।”
सतेंद्र के मुताबिक उन्होंने 2 दिन पहले 900 रुपए में 4 कैरेट टमाटर बेचा था और आज सुना है 1400 का रेट मिलेगा। लखनऊ की गल्ला मंडी में भी 1 कैरेट टमाटर 1300 से 1500 रुपए में बिक रहा है। हालांकि ज्यादातर टमाटर बाहर से आ रहा है। न्यूज पोटली ने लखनऊ के आसपास कई जिलों में बात की, लेकिन ज्यादातर किसानों ने कहा कि वो 5-10 दिन पहले अपने फसल खत्म कर चुके हैं।
लखनऊ की नवीन गल्ला मंडी में कारोबारी जसवंत सोनकर न्यूज पोटली को फोन पर बताते हैं, “वैसे तो इस मौसम (जून से अगस्त तक) टमाटर और दूसरी सब्जियां अक्सर महंगी होती हैं लेकिन इतनी महंगाई नहीं देखी गई थी। टमाटर की महंगाई की सबसे प्रमुख वजह मॉनसून है। कई राज्यों में ज्यादा बारिश हुई है। कुछ राज्यों में तूफान आया। ऐसे में उत्तर भारत में खासकर टमाटर की फसल खत्म हो चुकी है, अब जो माल आ रहा है वो कुछ महाराष्ट्र और दक्षिण भारत का है। इसीलिए महंगाई है।” जसवंत के मुताबिक ये महंगाई आने वाले कुछ दिन और रह सकती है क्योंकि फिलहाल कहीं से नई फसल आने वाली नहीं है।
भारत में टमाटर की खेती मुख्य रुप से 2 सीजन में होती है, गर्मियां और सर्दी। मोटे तौर पर देखा जाए तो पूरे देश में करीब 932-945 मिलियन हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है। 26 जून को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक साल 2022-23 के 20.62 मिलियन टन का उत्पादन अनुमानित है।
भारत में टमाटर की खेती मुख्य रुप से 2 सीजन में होती है, गर्मियां और सर्दी। मोटे तौर पर देखा जाए तो पूरे देश में करीब 932-945 मिलियन हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है। 26 जून को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक साल 2021-22 में 20.62 मिलियन टन टमाटर के उत्पादन का अनुमान है, जबकि 2020-21 में 20.69 मिलियन टन का उत्पादन हुआ था। आंकड़ों के मुताबिक देश में बागवानी फसलों का रकबा और उत्पादन दोनों बढ़ रहे हैं। वर्ष 2021-22 में कुल बागवानी उत्पादन रिकॉर्ड 347.18 मिलियन टन हुआ, जो वर्ष 2020-21 के उत्पादन से लगभग 12.58 मिलियन टन (3.76%) अधिक है। लेकिन टमाटर का रकबा पिछले तीन वर्षों में गिरा है। साल 2020-21 में 845 मिलियन हेक्टेयर में खेती हुई थी जो 2021-22 में घटकर 831 मिलियन हेक्टेयर बची।
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Arvind Shukla is a freelance journalist and founder of News Potli, a website that tells the stories of farmers, women, and tribal people.
Based in Lucknow, Uttar Pradesh, he grew up in a farming community and has spent years documenting the impact of climate threats, such as droughts, floods, and water shortages, on farmers and their livelihoods.
He has previously written about the plight of sugar workers, including a story focusing on how mills in Uttar Pradesh and Maharashtra owe sugarcane cutters billions in outstanding payments.