“पिता की फर्टीलाइजर की दुकान घाटे और उधारी के चलते बंद हो गई। जिसका 70 लाख रुपए का कर्ज चुकाने के लिए उन्हें दुकान और जमीन तक बेचनी पड़ी थी।”
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में लाडवा ब्लॉक के बन गांव में रहने वाले अंकुर बताते हैं।
ज्यादातर किसान अपनी खेती का हिसाब-किताब नहीं रखते। लेकिन अंकुर अच्छी तरह समझते हैं कब कौन सी फसल लगाई जानी है? कब किसकी हार्वेस्टिंग होनी है? फसल के इनपुट कास्ट और मुनाफे का ब्यौरा उन्हें सब मुंह जुबानी याद रहता है।
अंकुर के पास जमीन कम है, इसलिए वो उसका इंच-इंच इस्तेमाल करते हैं। खेती में रेज्ड बेड, मल्चिंग और माइक्रो इरिगेशन के साथ मचान या स्टेकिंग विधि अपनाते हैं। वो कम खेत में भी बंपर उत्पादन लेते हैं।
अंकुर मचान और स्ट्रेकिंग विधि से खेती करने का मन बना चुके हैं तो उसका गुणाभाग भी जान लीजिए। अंकुर कुमार की जो सिर्फ 4 एकड़ जमीन में सब्जियों की खेती करके लाखों रुपए कमाते हैं।
हरियाणा में गिरता जलस्तर किसानों के लिए भी मुश्किलें बढ़ा रहा। इसीलिए अंकुर अपनी पूरी खेती ड्रिप और स्प्रिंकलर के जरिए करते हैं। जल संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी सराहना कर चुके हैं।
लेकिन कम जमीन में प्रॉफिट देने वाली खेती करके अंकुर ने 6-7 वर्षों में ही हालात बदल दिए। अब उनके पास खुद का ट्रैक्टर से लेकर खेती का हर साजो-सामान है, यहां तक वो 2 एकड़ जमीन भी खरीदने वाले हैं।अंकुर भारत के उन सभी किसानों के लिए प्रेरणा हैं, जो कम जमीन के चलते खेती से दूर हो रहे या मुनाफा नहीं कमा पा रहे।
तकनीक से तरक्की सीरीज – न्यूज पोटली और जैन इरिगेशन की जागरुकता मुहिम है, सीरीज में उन किसानों की कहानियों को शामिल किया जा रहा है, जो खेती में नए प्रयोग कर, नई तकनीक का इस्तेमाल कर मुनाफा कमा रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन, आटोमेशन, फर्टिगेशन सिस्टम आदि की विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें-
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