धार (मध्य प्रदेश)। क्या आप खेती में घाटे से परेशान हैं? क्या सभी फसल नुकसान दे रही? ये तय करना मुश्किल है कि कौन सी फसल उगाई जाए कौन सी नहीं ? या इस बात से परेशान हैं कि खेत में जो पैदा हो रहा है, उसे बेचे कहां, मार्केट कैसे तलाशी जाए। और खेती में सफलता का कोई सेट फार्मूला है भी नहीं? इन सवालों का कोई एक जवाब तो नहीं लेकिन बहुत से ऐसे किसान जरुर हैं जिनकी मेहनत, सफलता और उनके खेती के करने का तरीका आपकी कई मुश्किलें सुलझा सकता है।
मध्य प्रदेश के धार जिले के भवरिया गांव के किसान मधुसूदन पाटीदार को निमाड़ और मालवा बेल्ट ही नहीं देश के कई राज्यों में मधुकाका ने नाम से जाना जाता है। मधुकाका निसरपुर ब्लॉक के 3 गांवों में केला, पपीता, सीताफल, अमरुद यानि जामफल और नींबू की खेती करते हैं। साल 1980 में कामर्स से पोस्ट ग्रुजेएशन करने वाले मधुसूदन पाटीदार की खेती यात्रा रोचक है।
मधुसूदन पाटीदार और उनके बेटे आशुतोष पाटीदार दोनों की जोड़ी खेती की एक्सपर्ट और मार्केट की मास्टरमाइंड हैं। जिनके पास पुरानी खेती का तर्जुबा और एडवांस तकनीक की ताकत दोनों हैं।
आशुतोष कहते हैं “इसके लिए किसानों को जागरुक होने के साथ देश के कृषि इंफ्रास्ट्रैक्टर को इजराइल जैसा बनाने की जरुरत है जहां फार्मिंग डेटा के आधार पर होती है।”
तकनीक से तरक्की सीरीज – न्यूज पोटली और जैन इरिगेशन की जागरुकता मुहिम है, सीरीज में उन किसानों की कहानियों को शामिल किया जा रहा है, जो खेती में नए प्रयोग कर, नई तकनीक का इस्तेमाल कर मुनाफा कमा रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन, आटोमेशन, फर्टिगेशन सिस्टम आदि की विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें-
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