चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)। रेगिस्तान की बंजर जमीन को हरे-भरे खेतों में बदलने के लिए इजराइल ने क्या तकनीक अपनाई होगी? कैसे पीने के पानी को तरसते देश ने खेती में इतनी तरक्की की? ऐसे कई सवाल अपने गांव से करीब 1000 किलोमीटर दूर पुणे में इंजीनियरिंग कर रहे विक्रम आंजना के मन अक्सर उठते थे। राजस्थान में उनके पास 25 हेक्टेयर पथरीली ज़मीन थी, जिस पर 50-60 वर्षों से अन्न का एक दाना नहीं उगा था, वहां गाय-भैंस, बकरियां-ऊंट चरा करते थे। इंजीनियरिंग कर नौकरी करने के बजाय विक्रम आंजना ने मेवाड़ की इसी धरती पर अपना इजराइल बनाने की सोची। और चित्तौड़गढ़ में निंबाहेडा के मरजीवी गांव में उन्होंने पत्थरीली जमीन में बाग उगा दिया।
ये काम कितना मुश्किल था, बाग की पुरानी तस्वीरों से समझा जा सकता है। जो इलाका आज हरा-भरा नजर आ रहा है, जहां सीताफल यानि शरीफा, आंवला और अमरूद के पेड़ दिखाई दे रहे हैं वो कभी परथीला उजाड़ मैदान था। लाखों रुपए खर्च हुए, कई महीनों की मेहनत लगी और अब भविष्य सोच का नतीजा तस्वीरों में लहलहा रहा है।
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ड्रिप इरिगेशन से संभव हुई खेती, पूरे हुए सपने
विक्रम कहते हैं, ये सब मुमकिन हुआ है ड्रिप इरिगेशन यानि बूंद-बूंद सिंचाई सिस्टम की वजह है। विक्रम आंजना बताते हैं, बाग लगाने से उन्होंने अपनी पूरी इंजीनियरिंग खेती में दिखाई। YouTube पर सैकड़ों वीडियो देखे। जमीन का एक मास्टर प्लान बनाया। मिट्टी की जांच कराई, बाग में रास्ते निकलवाए। इरिगेशन के लिए चैनल बिछाया। यूपी के प्रतापगढ़ से आंवला, महाराष्ट्र से सीताफल और छत्तीसगढ़ से अमरुद के पौधे लेकर आए। हर पौधे के लिए 3 गुणा 3 फीट का गड्ढा खुदवाया। उसमें खाद और मिट्टी भरवाई। निचले इलाके से लेकर ऊपरी इलाके के हर पौधे तक बराबर पानी और फर्टिलाइजर पहुंचे, इसलिए खास तरह की ड्रिप लाइन इस्तेमाल की।
विक्रम आंजना का बाग
पथरीली जमीन में खेती को लेकर कई बार लगा डर
विक्रम कहते हैं ये सफर मुश्किल भरा था, कई बार मन में डर उठा। भविष्य दांव पर था, कई बार मायूसी का दौर भी आया। लेकिन खुद पर विश्वास, नई तकनीक का इस्तेमाल और परिवार के साथ ने बहुत सारी मुश्किलों को पीछे छोड़ दिया। इसके साथ पिछले वर्षों में संतरा और मोसंबी की बाग से मिले फायदे उन्हें आगे बढ़ने का जरिया दिया। लेकिन अब दो साल में बाग में जिस तरह की ग्रोथ है, उससे विक्रम खुश हैं, वो परिवार के पास रहकर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं, उनके पिता इसलिए खुश हैं, बुढ़ापे में बेटा उनके पास है।
वन टाइम इनवेस्टमेंट था, आगे मुनाफा
विक्रम कहते हैं, देश में लाखों हेक्टेयर पथरीली और बंजर जमीन है, इस बाग से और लोगों को इस दिशा में काम करने का जरिया मिल सकता। इसमें जो खर्च हुआ उसमें ज्यादातर वन टाइम इनवेस्टमेंट था, आगे सिर्फ फसल बचाने का खर्च और बाकी सब मुनाफा है। वैसे भी नौकरी में सफलता का एक सीमित दायरा है और अपने काम में खुले आसमान जितना विस्तार है।
तकनीक से तरक्की सीरीज… न्यूज पोटली News Potli और जैन इरिगेशन Jain Irrigation की जागरुकता मुहिम है, सीरीज में उन किसानों की कहानियां हैं, जो खेती में नए प्रयोग कर, नई तकनीक का इस्तेमाल कर मुनाफा कमा रहे हैं। उनकी खेती दूसरे किसानों से हटकर, जिसे अपनाकर आप भी घाटे और मेहनत वाली खेती को मुनाफे में बदल सकते हैं।
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