आलू के दाम

क्यों गिरे आलू के दाम? सही वजह अब पता चली

ये दुख पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के किसानों का नहीं, बल्कि हिंदुस्तान के हर उस किसान का है, जिसने आलू उगाया, कोल्ड स्टोरेज में रखा और अब मंडी में औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। खेत में पसीना बहाया, अब आंखों से आंसू बह रहे हैं।

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भारतीय चाय उद्योग चुनौतियों से जूझ रहा है: भारतीय चाय संघ

भारतीय चाय संघ की रिपोर्ट के अनुसार, चाय उद्योग गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। 2024 में मौसम और कीटों के कारण उत्पादन में कमी देखी गई। 2025 में पश्चिम बंगाल और असम के लिए कम उत्पादन चिंता का विषय है। चाय की नीलामी की कीमतों में गिरावट आई है। 2024 में आयात में वृद्धि हुई, जिससे कीमतों पर असर पड़ा। चाय के निर्यात में मामूली गिरावट देखी गई। उद्योग इन चुनौतियों का सामना कर रहा है।

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आलू की कीमतों में भारी गिरावट से इस क्षेत्र को ₹10,000 करोड़ का नुकसान हो सकता है: बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन

पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन (WBCSA) ने आलू की थोक कीमतों में भारी गिरावट पर चिंता जताई, किसानों और कोल्ड स्टोरेज संचालकों के लिए गंभीर वित्तीय नुकसान की चेतावनी दी, तथा ग्रामीण आर्थिक संकट को गहराने से रोकने के लिए तत्काल राज्य हस्तक्षेप की मांग की है।

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बंगाल

बंगाल में भारी बारिश से फसल बर्बाद

रिपोर्ट: मधुसूदन चटर्जी “हम यह फ़सल कर्ज़ कैसे चुकाएँगे? हमने एक स्थानीय साहूकार से पैसे लिए थे, और अब उसे चुकाने का कोई रास्ता नहीं है। हम सालों से खेती कर रहे हैं, लेकिन इतना गंभीर संकट कभी नहीं देखा,” बांकुरा I ब्लॉक के अंतर्गत बोरकुरा गाँव के किसान, 60 वर्षीय शिबाराम नंदी ने कहा।…

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मुर्गी हैचरी की गंदगी से फैली मक्खियों ने लोगों का जीवन नर्क बना दिया है।

पश्चिम बंगाल: बांकुरा में मक्खियों का आतंक, मच्छरदानी में दिन बिताने को मजबूर ग्रामीण

पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले के 23 से ज्यादा गांव इन दोनों अनोखे मगर जानलेवा संकट से जूझ रहे हैं। वजह से मक्खियों का आतंक। मुर्गी हैचरी की गंदगी से फैली मक्खियों ने लोगों का जीवन नर्क बना दिया है। लोग बीमार हो रहे हैं। इलाके में डायरिया और आंत से जुड़ी बीमारियां तेजी से…

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भारत में पश्चिम बंगाल और असम में बड़े पैमाने पर चाय की खेती होती है। बंगाल में सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, दार्जलिंग को टी स्टेट का गढ़ माना जाता है

आपकी चाय में रंगत लाने के लिए इन्होंने कितना कुछ खो दिया

पश्चिम बंगाल के टी स्टेट में काम करने वाले लोगों का हाल बहुत पुरा है। उन्हें दिन का महज 232 रुपये ही मेहनताना मिलता है। भारत में पश्चिम बंगाल और असम में बड़े पैमाने पर चाय की खेती होती है। बंगाल में सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, दार्जलिंग को टी स्टेट का गढ़ माना जाता है। यहां चाय…

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बांकुरा

बांकुरा की ईंटें: एक बिखरती ज़िंदगी की तस्वीर!

कभी मध्यम स्तर के उद्योगों की वजह से जानी जाने वाली पश्चिम बंगाल के बांकुरा की ज़मीन आज मज़दूरी और शोषण की मार झेल रही है। यहां की ईंट भट्टा इंडस्ट्री में हर साल नवंबर से उसके अगले साल मई तक करीब 40,000 मज़दूर काम करते हैं, लेकिन इनकी मेहनत का मोल ना के बराबर है।

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