
बिर्होर जनजाति: भूले हुए वादों और अधूरी योजनाओं की गवाही
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले में रहने वाली बिर्होर जनजाति आज भी ग़रीबी, कुपोषण और सरकारी उपेक्षा से जूझ रही है। योजनाओं और बजट के बावजूद न तो इन्हें सही घर मिले, न शिक्षा, न स्वास्थ्य सेवाएँ। महुलतानर गाँव की सरला शिकारी जैसी महिलाएँ टूटे घर और बीमार शरीर के साथ सिर्फ़ रस्सी बनाकर गुज़ारा करती हैं। बिर्होरों की कहानी ग़रीबी से बढ़कर व्यवस्थित उपेक्षा और भूले हुए वादों की सच्चाई को उजागर करती है।