एथनॉल की खरीद

चीनी उद्योग ने एथनॉल की खरीद कीमतों में संशोधन की मांग की, जानिए क्या है वजह?

चीनी उद्योग ने इथेनॉल खरीद मूल्यों में संशोधन और मिश्रण लक्ष्य को 20% से आगे बढ़ाने की मांग की है, क्योंकि राष्ट्रीय इथेनॉल कार्यक्रम में इस क्षेत्र का योगदान 73% से घटकर केवल 28% रह गया है। इस गिरावट का मुख्य कारण यह है कि गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य या एफआरपी में वृद्धि के अनुरूप इथेनॉल खरीद मूल्यों में वृद्धि नहीं की गई है, जिससे चीनी मिलों के लिए इथेनॉल उत्पादन कम लाभदायक हो गया है। आपको बता दें कि इस वर्ष 40 लाख टन तक चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने की संभावना है, परन्तु केवल 32 लाख टन चीनी ही इथेनॉल में परिवर्तित होने की उम्मीद है।

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योगी सरकार

योगी सरकार ने प्रदेश में गन्‍ना भुगतान में देरी करने वाले 6 चीनी मिलों के खिलाफ वसूली के लिए जारी किए निर्देश

योगी सरकार ने गन्ना किसानों की बकाया राशि के भुगतान के लिए चीनी मिलों के लिए निर्देश जारी किए हैं. वर्तमान में 6 चीनी मिलों को निर्देशों के अनुसार समय पर भुगतान नहीं करने के कारण उनके खिलाफ वसूली प्रमाण-पत्र जारी किए गए हैं. जिसमें बरखेड़ा-पीलीभीत, मकसूदापुर-शाहजहांपुर, बहेड़ी और नवाबगंज-बरेली, कुन्दुरखी-गोण्डा और मलकपुर-बागपत चीनी मिल शामिल हैं.

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गन्ना

गन्ना और चीनी उद्योग को लेकर क्या है योगी सरकार का प्लान?

देश के गन्ना एवं चीनी उद्योग में उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि सबसे अधिक उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। राज्य में इस उद्योग को और आगे बढ़ाने और किसानों को लाभ देने के लिए राज्य की योगी सरकार ने वर्ष 2027-28 तक गन्ना और चीनी उद्योग के ग्रॉस वैल्यू आउटपुट (जीवीओ) को मौजूदा 1.32 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.62 लाख करोड़ रुपये से अधिक करने का लक्ष्य रखा है।इसके लिए राज्य के गन्ना किसानों को कम लागत में बेहतर और अधिक उत्पादन लेने की ट्रेनिंग दी जा रही है।

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चीनी

सरकार ने तय की अप्रैल के लिए चीनी की स्टॉक होल्डिंग लिमिट, तोड़ने वाली चीनी मिलों पर होगी कड़ी कार्रवाई

भारत सरकार चीनी की जमाखोरी और बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए तय की गई मासिक स्टॉक लिमिट को तोड़ने वाली चीनी मिलों पर सख्त कार्रवाई करेगी। नए दिशा-निर्देशों में पेनल्टी और बार-बार उल्लंघन के लिए सरकारी लाभों से अयोग्यता शामिल है।अप्रैल 2025 से प्रभावी इन उपायों का उद्देश्य स्थिर चीनी सप्लाई बनाए रखना और कीमतों को नियंत्रित करना है।

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सहकारी चीनी मिलों

गन्ना आधारित प्लांट को बहु-फ़ीड आधारित इथेनॉल प्लांट में बदला जाएगा, बढ़ेगा इथेनॉल का उत्पादन

देश में सहकारी चीनी मिलों में गन्ने पर चलने वाला इथेनॉल प्लांट केवल गन्ने के सीजन में ही चलता है और बाकी सीजन में बंद रहता है। सरकार ने इन सहकारी मिलों के गन्ना इथेनॉल प्लांट को मल्टी फीड प्लांट में बदलने के लिए कहा है ताकि हर सीजन में मक्का आदि से इथेनॉल बनाने का काम चलता रहे। इसके लिए सरकार गन्ना आधारित इथेनॉल प्लांट को मल्टी फीड प्लांट में बदलने के लिए लोन पर ब्याज की छूट भी दे रही है। इससे चीनी मिलों को भी फ़ायदा होगा और साथ ही इथेनॉल उत्पादन भी बढ़ेगा।

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सहकारी चीनी मिलों

गन्ना वाले इथेनॉल प्लांट अब मक्के का भी कर सकते हैं इस्तेमाल, लोन और ब्याज पर छूट देगी सरकार

सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) की सुविधा के लिए, भारत सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने संशोधित इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना के तहत सीएसएम के लिए  योजना अधिसूचित की है। इसके तहत उनके गन्ना आधारित मौजूदा फीडस्टॉक इथेनॉल प्लांट को मक्का और क्षतिग्रस्त अनाज (डीएफजी) जैसे अनाज का उपयोग करने के लिए मल्टी-फीडस्टॉक आधारित प्लांटों में बदला जाएगा।

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