
यूपी में MSP पर फसल बेचने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू
उत्तर प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में MSP पर फसल बेचने के लिए किसानों को ऑनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इस बार धान, मक्का, बाजरा, ज्वार और श्रीअन्न सरकारी खरीद में शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में MSP पर फसल बेचने के लिए किसानों को ऑनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इस बार धान, मक्का, बाजरा, ज्वार और श्रीअन्न सरकारी खरीद में शामिल हैं।
खरीफ सीजन 2025-26 की दालें और तिलहन इस बार MSP से काफी कम दामों पर बिक रहे हैं। मूंग, उड़द और तूर औसतन 1,500–1,700 रुपये प्रति क्विंटल तक सस्ते हैं, वहीं मूंगफली और सोयाबीन भी MSP से नीचे बिक रहे हैं। कीमतें गिरने की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार और सस्ते आयात को माना जा रहा है। कर्नाटक और तेलंगाना ने सरकार से तुरंत खरीद शुरू करने और मात्रा सीमा खत्म करने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश सरकार 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर 2025 तक मक्का, बाजरा और ज्वार की सरकारी खरीद करेगी। किसानों के लिए MSP बढ़ा दिया गया है—मक्का ₹2400, बाजरा ₹2775, ज्वार (हाइब्रिड) ₹3699 और ज्वार (मालवांडी) ₹3749 प्रति क्विंटल। खरीद केवल पंजीकृत किसानों से होगी, जिसके लिए fcs.up.gov.in या UP Kisan Mitra एप पर रजिस्ट्रेशन जरूरी है। यह कदम किसानों की आय बढ़ाने, श्रीअन्न को बढ़ावा देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।
कपास किसानों की मदद के लिए कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने इस बार रिकॉर्ड 550 खरीद केंद्र बनाए हैं। 1 अक्टूबर से अलग-अलग राज्यों में एमएसपी पर कपास की खरीद शुरू होगी, जिसमें मीडियम स्टेपल का भाव 7,710 रुपये और लॉन्ग स्टेपल का 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। किसानों के लिए पूरी प्रक्रिया डिजिटल कर दी गई है, जिससे रजिस्ट्रेशन से लेकर भुगतान तक सब काम आसान और पारदर्शी तरीके से होगा। हर मंडी में शिकायत निवारण कमेटी और हेल्पलाइन भी उपलब्ध रहेंगी। सरकार का कहना है कि किसानों की पूरी फसल खरीदी जाएगी और समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा।
कपास किसानों को CCI ने भरोसा दिया है कि नई खरीफ सीजन में पूरा माल MSP पर खरीदा जाएगा। आयात शुल्क हटने और कीमतों में दबाव की आशंका के बीच कंपनी ने कहा कि किसानों को औने-पौने दाम पर बेचने की जरूरत नहीं है। MSP बढ़ा है और खरीदी इस बार पूरी तरह डिजिटल होगी।
संजय अग्रवाल की अध्यक्षता वाली MSP समिति ने 45 बैठकें की हैं। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में यह जानकारी दी। समिति का उद्देश्य MSP प्रणाली की प्रभावशीलता और पारदर्शिता में सुधार लाना है। यह CACP के लिए अधिक ऑटोनोमी पर भी विचार कर रही है। कृषि विपणन को मज़बूत करना और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना भी इसके कार्यक्षेत्र का हिस्सा है।
हम किसानों की आय दोगुनी कर रहे हैं। इसके लिए MSP भी बढ़ा रहे हैं, रिकॉर्ड खरीदी भी कर रहे हैं और किसान क्रेडिट कार्ड पर सस्ता ऋण भी उपलब्ध करा रहे हैं। दलहन और तिलहन की खरीदी के लिए भी सरकार ने पीएम-आशा योजना बनाई है। Tenant farmers को भी केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ देने का प्रयत्न किया जा रहा है।लोकसभा ने पूछे गए एक सवाल के उत्तर में बोले कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान।
देश में टिकाऊ खेती को मुख्यधारा में लाने के लिए संसद की estimates committee ने एक विस्तृत, ठोस रोडमैप प्रस्तुत किया है, जिसमें कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की भूमिका पर ज़ोर दिया गया है ताकि जलवायु परिवर्तन और रसायनों के अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न दोहरे खतरों के बीच उन्हें बदलाव का प्रमुख माध्यम बनाया जा सके। समिति ने सरकार को प्राकृतिक और जैविक खेती को आर्थिक रूप से व्यवहार्य, वैज्ञानिक रूप से मान्य और व्यापक रूप से अपनाया जाने वाला बनाने का सुझाव दिया है।
भारत में हर साल 1.52 लाख करोड़ रुपये के फल-सब्जियां बर्बाद होती हैं, जिससे न सिर्फ किसानों को नुक़सान होता है बल्कि पानी, बिजली और संसाधनों की भी हानि होती है. रिपोर्ट के मुताबिक हर साल लगभग 15 फीसदी तक फलों और 12 फीसदी तक सब्जियों का नुकसान होता है.
मध्यप्रदेश सरकार किसानों से मूंग और उड़द की फसल खरीदने का फैसला किया है। किसानों के हित में ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की फसलों की सरकारी खरीदी के लिए राज्य सरकार 19 जून से रजिस्ट्रेशन शुरू करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि खरीदी प्रक्रिया में पारदर्शिता और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।