Micro Irrigation- Full Information of drip Irrigation

माइक्रो इरिगेशन की ABCD पार्ट 1- ड्रिप इरिगेशन या बूंद-बूंद सिंचाई के फायदे जानिए

माइक्रो इरिगेशन की एबीसीडी- न्यूज पोटली और जैन इरिगेशन की खास सीरीज है, जिसमें आपको बूंद-बूंद सिंचाई विधि यानि Drip Irrigation या स्प्रिंकलर सिंचाई विधि sprinkler irrigation system के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।

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Mahadev Patel and his younger brother inspecting his vegetable farm

तकनीक से तरक्की- पार्ट 4 : ड्रिप इरिगेशन का कमाल, 50-60 लाख की सब्जियां उगाता है किसान

महादेव और उनके भाई को खरगोन समेत पूरे निमाड में सब्जी वाले किसान के रूप में जाना जाता है। उनके खेतों के टमाटर, मिर्च खीरा, देश के कई इलाकों में सप्लाई होता है। महादेव के कंधे से कंधा मिलाकर खेती करने वाले छोटे भाई कहते हैं, पानी, ड्रिप इरीगेशन और उनके भाई की मेहनत ने ये करिश्मा किया है।

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तकनीक से तरक्की- पार्ट 3 : इजराइल की तकनीक से राजस्थान में पथरीली जमीन पर उगाया बाग

तकनीक से तरक्की सीरीज के पार्ट-3 में मिलिए राजस्थान में चित्तौडगढ़ के विक्रम आंजना से, जो इंजीनियरिंग करने के बाद खेती करते हैं। उन्होंने इजराइल की तरह ड्रिप इरिगेशन के सहारे पथरीली जमीन में बाग लगाया है।

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yadaunandan singh feeling confident after using all agri technoolgy in his field

तकनीक से तरक्की पार्ट 2- धान गेहूं की जगह बागवानी की नई फसलें और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से कमाई कर रहे यदुनंदन

हमने अपनी खेती को बांट रखा है। एक हिस्से में 30-50 दिन की फसल होती है, तो किसी हिस्से में 3 महीने वाली, किसी खेत में 6 महीने तो किसी में 1 साल से लेकर डेढ़ साल तक वाली। यहां कि हमने जो अगर वुड और सागौन लगाया वो 10 साल में तैयार होंग। ये सब हमें समय- पर पैसे देते रहेंगे।

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Jain Drip Irrigation automation plant

तकनीक से तरक्की पार्ट- 1 ड्रिप इरिगेशन ऑटोमेशन सिस्टम: 90 एकड़ खेत में सिंचाई और फर्टिगेशन एक साथ

90 एकड़ में अमरुद, केला और लीची के पौधो के लिए सिंचाई और फर्टिगेशन करने का काम बहुत सारे मजदूरों से नहीं बल्कि एक ऑटोमेशन मशीन से ही हो जाता है। हर पौधे को मिल जाता है जरूरत के हिसाब से पौषण और पानी जिससे फसल की बढ़वार एक समान और एक समय पर होती है।

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Jain Irrigation layout system for fertigation

फर्टिगेशन से फसल को मिलता है 90 फीसदी तक पोषण

एक पौधे को अच्छे से ग्रोथ करने के लिए कार्बन नाइट्रोजन, पोटशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीज, सल्फर, बोरान जैसे 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। पारम्परिक तरीके से खाद देने पर पोषक तत्वों का सिर्फ 40 से 50 प्रतिशत ही पौधे को मिल पाता है वहीं जल विलेय उर्वरक देने पर इसका लाभ प्रतिशत 90 तक पहुंच जाता है।

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