भोपाल सिंह बने स्मार्ट किसान

स्प्रिंकलर से सोलर मशीन तक, कैसे भोपाल सिंह बने स्मार्ट किसान का उदाहरण

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के देयंगल गांव के किसान भोपाल सिंह ने पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक तकनीक अपनाई और अपनी 7-8 बीघा जमीन से सालाना 12-15 लाख रुपये तक कमाई शुरू की। उन्होंने ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई, ट्रैक्टर, सीड ट्रांसप्लांटर, पावर स्प्रेयर जैसी मशीनों और सोलर उपकरणों का इस्तेमाल कर खेती को आसान और मुनाफेदार बनाया। भोपाल सिंह का मानना है कि खेती में सफलता के लिए स्मार्टवर्क जरूरी है।

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ड्रिप इरिगेशन

ड्रिप इरिगेशन: मिट्टी और फसल के हिसाब से स्मार्ट सिंचाई

ड्रिप इरिगेशन खेती की एक स्मार्ट और वैज्ञानिक तकनीक है, जिसमें मिट्टी, फसल और स्थान के अनुसार सही सिस्टम चुना जाता है। यह तकनीक पौधों को जड़ों तक संतुलित पानी और खाद पहुँचाती है। पानी व खाद की बचत, फसल की गुणवत्ता में सुधार, पैदावार में वृद्धि और मज़दूरी खर्च में कमी समेत इसके कई फायदे हैं। खास बात यह है कि ड्रिप इरिगेशन सिर्फ सूखे या महंगी फसलों तक सीमित नहीं, बल्कि हर खेत और हर किसान के लिए उपयोगी है।

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हाई डेंसिटी फार्मिंग

हाई डेंसिटी फार्मिंग: कम जमीन में ज्यादा पैदावार का नया तरीका

हाई डेंसिटी फार्मिंग आधुनिक खेती की तकनीक है, जिसमें पौधों को कम दूरी पर ज़्यादा संख्या में लगाया जाता है ताकि कम ज़मीन से अधिक उत्पादन मिल सके। इसमें पौधों की छंटाई, आकार नियंत्रण, टपक सिंचाई और बेहतर किस्म के पौधों का इस्तेमाल किया जाता है। इस पद्धति से किसानों को जल्दी और बेहतर क्वालिटी की पैदावार मिलती है, जिससे मुनाफ़ा कई गुना बढ़ जाता है। इसका उपयोग आम, अमरूद, केला, संतरा और सब्ज़ियों की खेती में सबसे ज़्यादा होता है।

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हिमाचल

नौकरी छोड़ शुरू की खेती, हिमाचल के सुशील शर्मा अब सेब के बाग से कमा रहे हैं लाखों

हिमाचल के किसान सुशील शर्मा गाला और स्पर वैरायटी सेब की खेती से सालाना 8 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई रहे हैं। उन्होंने महंगे पौधों की जगह खुद ग्राफ्टिंग कर सस्ता पौधा तैयार किया। साथ ही उन्होंने बाग में इंटर क्रॉपिंग, ड्रिप इरीगेशन और एंटी हेल नेट से उत्पादन और क्वालिटी दोनों बढ़ाई है। लॉकडाउन में नौकरी छूटने के बाद शुरू हुई उनकी खेती आज सफलता की मिसाल बन गई है।

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बटुक सिंह जडेजा 350 एकड़ में केसर आम की बागवानी करते हैं। उनके बाग में करीब 35000 पेड़ लगे हैं। उनका आम अमेरिका, लंदन के साथ खाड़ी के कई देशों में जाता है। उनका सालाना टर्नओवर करोड़ों में है।

गुजरात के कच्छ का किसान मजदूर से कैसे बन गया Mango King?

कच्छ के किसान बटुक सिंह जडेजा करीब 350 एकड़ में केसर आम की बागवानी करते हैं। उनका सालाना टर्नओवर करोड़ों में है। गुजरात का कच्छ, भारत का सबसे बड़ा जिला। यहां दुनिया का सबसे बड़ा खारा रेगिस्तान है। 45,674 वर्ग किलोमीटर में फैला ये जिला गुजरात का 23.27 फीसदी हिस्सा है। इस जिले में 10…

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सब्जियां

मात्र एक एकड़ खेत में साल में दस बारह फसलों की खेती करते हैं इंद्रजीत, जानिए इनकी सब्जियां मार्केट में महंगी क्यों बिकती हैं ?

एक एकड़ जमीन में साल भर में दस बारह फसलों की खेती, लागत कम से कम आए इसके लिए ज्यादातर ख़ुद से बनायी हुई जुगाड़ू चीजों का इस्तेमाल, गौ मूत्र से बना पेस्टिसाइड्स का प्रयोग, सब्जियों की अगेती खेती, सब्जियों की तुड़ाई तड़के 3 बजे करना और फिर दूसरों के अपेक्षा कमाई ज़्यादा करना. यही सब बातें इंद्रजीत को दूसरे किसानों से अलग करती है.

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सब्ज़ियों की खेती

सब्ज़ियों की खेती के लिए अपनायें ये तरीका…बढ़ेगा उत्पादन, डबल होगी कमाई

कुरुक्षेत्र, हरियाणा। आपने अक्सर छोटी जोत वाले किसानों को यह कहते सुना होगा कि हमारे पास बहुत कम जमीन है, हम इससे कितना कमा सकते हैं। लेकिन इसके उलट देश में छोटी जोत वाले कई किसान ऐसे हैं, जिन्होंने कड़ी मेहनत और तकनीक के दम पर छोटी जोत होने के बावजूद खेती में सफलता हासिल की है। उन्हीं किसानों में से एक हैं हरियाणा के कुरुक्षेत्र के युवा और प्रगतिशील किसान अंकुर कुमार।

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झारखंड के खूंटी जिले के रांडा गांव के किसान रूप चंद्र महतो और उनकी पत्नी मीरा देवी ने सिर्फ 2.5 एकड़ जमीन से लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं।

झारखंड: खेती का ‘स्मार्ट फॉर्मूला’, एक साल में 10 फसलें उगाता है ये किसान दंपति

किसान रूप चंद्र महतो और उनकी पत्नी मीरा देवी ने सिर्फ 2.5 एकड़ जमीन से लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं। बदलते वक्त के साथ खेती की दुनिया भी काफी बदल गई है। स्मार्ट तरीके से खेती करके छोटे किसान भी अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। झारखंड के खूंटी जिले के रांडा गांव…

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बलरामपुर चीनी मिल

इस तकनीक से बढ़ेगी गन्ने की पैदावार, सरकार भी दे रही है सब्सिडी

भारत में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहां हर साल करीब 58 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है। गन्ना एक नकदी फसल है, इससे किसानों को अच्छी आमदनी होती है। इसलिए किसान इसकी खेती में काफ़ी रुचि लेते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से इसकी खेती से किसान नाखुश नज़र आ रहे हैं। वजह है अधिक लागत के बावजूद पैदावार में कमी। कम पैदावार की सबसे बड़ी वजह है सिंचाई में आने वाली दिक्कत और दूसरा, गन्ने में लगने वाला लाला सड़न रोग जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। लेकिन यूपी में तकनीक के ज़रिए उत्पादन में वृद्धि देखी जा रही है और सरकार भी इसमें किसानों की मदद कर रही है।

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SANTOSH

मात्र पाँच बीघे में Horticulture से सालाना 30 से 35 लाख की कमाई करती हैं राजस्थान की संतोष

संतोष खेदड़ राजस्थान के सीकर जिले में बेरी इलाके की रहने वाली हैं. वो और उनके पति अपनी नई सोच और मेहनत से मात्र पाँच बीघे में बाग़वानी से सालाना 30 से 35 लाख की कमाई कर रहे हैं, जो कम जोत वाले किसानों के लिए मिसाल है. संतोष अनार के अलावा मौसमी, अमरूद, चीकू की बाग़वानी करती हैं। राजस्थान जैसे गर्म इलाकों में उन्होंने सेब की भी बागवानी की हुई है. यह तकनीक और उनकी मेहनत से ही संभव हो पाया है. वो खेती में तकनीक के इस्तेमाल को ज़रूरी मानती है.

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