सब्ज़ियों की खेती

सब्ज़ियों की खेती के लिए अपनायें ये तरीका…बढ़ेगा उत्पादन, डबल होगी कमाई

कुरुक्षेत्र, हरियाणा। आपने अक्सर छोटी जोत वाले किसानों को यह कहते सुना होगा कि हमारे पास बहुत कम जमीन है, हम इससे कितना कमा सकते हैं। लेकिन इसके उलट देश में छोटी जोत वाले कई किसान ऐसे हैं, जिन्होंने कड़ी मेहनत और तकनीक के दम पर छोटी जोत होने के बावजूद खेती में सफलता हासिल की है। उन्हीं किसानों में से एक हैं हरियाणा के कुरुक्षेत्र के युवा और प्रगतिशील किसान अंकुर कुमार।

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झारखंड के खूंटी जिले के रांडा गांव के किसान रूप चंद्र महतो और उनकी पत्नी मीरा देवी ने सिर्फ 2.5 एकड़ जमीन से लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं।

झारखंड: खेती का ‘स्मार्ट फॉर्मूला’, एक साल में 10 फसलें उगाता है ये किसान दंपति

किसान रूप चंद्र महतो और उनकी पत्नी मीरा देवी ने सिर्फ 2.5 एकड़ जमीन से लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं। बदलते वक्त के साथ खेती की दुनिया भी काफी बदल गई है। स्मार्ट तरीके से खेती करके छोटे किसान भी अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। झारखंड के खूंटी जिले के रांडा गांव…

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बलरामपुर चीनी मिल

इस तकनीक से बढ़ेगी गन्ने की पैदावार, सरकार भी दे रही है सब्सिडी

भारत में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहां हर साल करीब 58 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है। गन्ना एक नकदी फसल है, इससे किसानों को अच्छी आमदनी होती है। इसलिए किसान इसकी खेती में काफ़ी रुचि लेते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से इसकी खेती से किसान नाखुश नज़र आ रहे हैं। वजह है अधिक लागत के बावजूद पैदावार में कमी। कम पैदावार की सबसे बड़ी वजह है सिंचाई में आने वाली दिक्कत और दूसरा, गन्ने में लगने वाला लाला सड़न रोग जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। लेकिन यूपी में तकनीक के ज़रिए उत्पादन में वृद्धि देखी जा रही है और सरकार भी इसमें किसानों की मदद कर रही है।

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SANTOSH

मात्र पाँच बीघे में Horticulture से सालाना 30 से 35 लाख की कमाई करती हैं राजस्थान की संतोष

संतोष खेदड़ राजस्थान के सीकर जिले में बेरी इलाके की रहने वाली हैं. वो और उनके पति अपनी नई सोच और मेहनत से मात्र पाँच बीघे में बाग़वानी से सालाना 30 से 35 लाख की कमाई कर रहे हैं, जो कम जोत वाले किसानों के लिए मिसाल है. संतोष अनार के अलावा मौसमी, अमरूद, चीकू की बाग़वानी करती हैं। राजस्थान जैसे गर्म इलाकों में उन्होंने सेब की भी बागवानी की हुई है. यह तकनीक और उनकी मेहनत से ही संभव हो पाया है. वो खेती में तकनीक के इस्तेमाल को ज़रूरी मानती है.

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पपीता और हरी मिर्च की खेती से सालाना 80-90 लाख रुपए कमा रहा महाराष्ट्र का ये किसान

मेरे परिवार के पास पहले सिर्फ 4 एकड़ जमीन थी, जिसमें कपास आदि की खेती होती थी, लेकिन उसमें कुछ बचता नहीं था। फिर हमने पपीता और मिर्च की खेती शुरू की, जिससे मुझे बहुत फायदा हुआ। अब मेरे पास 32 एकड़ जमीन है और साल में 80-90 लाख रुपए का मुनाफा कमा लेता हूं

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यूपी पार्टनरशिप कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीएसआर अपनाने वाले 5 किसानों को किया सम्मानित

लखनऊ (यूपी)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पार्टनरशिप कॉन्क्लेव में कम पानी में धान की खेती करने वाले 5 किसानों को सम्मानित किया। समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी के पास देश की 11 फीसदी कृषि लायक जमीन है, जबकि देश की 17% आबादी प्रदेश में निवास करती है…

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kinnu farming kinnu ki kheti

किन्नू की हाईटेक खेती से चमकी हरियाणा की चंद्रकला और विकास की किस्मत, नर्सरी से भी हो रहा मुनाफा

किन्नू. एक सिट्स्र वर्गीय फल.. इसमें किन्नू के साथ स्वीट ओरेंज, माल्टा और डेजी आदि किस्में आती हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में बड़े इलाके में इसकी खेती होती है। तकनीक से तरक्की सीरीज में इस बार कम लागत वाली इसी किन्नू की खेती की पूरी जानकारी सिरसा (हरियाणा)। माथे पर पसीना, आंखों में चमक.. चेहरे…

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तकनीक से तरक्की: तकनीक ने दिया मुश्किलों का हल, अब सेब की खेती से कमा रहे लाखों रुपए

प्रकृति वरदान यूं नहीं देती. वरदान के साथ ढेरों शर्तें और मुश्किलें भी आती हैं.और इन मुश्किलों से पार पाना केवल तकनीक के बूते ही सम्भव है. हिमाचल प्रदेश के शिमला से 40 किलोमीटर दूर एक गांव करियाल में रह रहे अजय ठाकुर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.

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झारखंड में इफको का अभियान, नैनो उर्वरकों की तरफ बढ़ें किसान

इफको यानी इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड ने झारखंड में अपने एक और नए अभियान की शुरुआत की है. इसके तहत नैनो उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए इफको द्वारा नैनो उर्वरक उपयोग संवर्धन अभियान की शुरुआत हुई है. इसके तहत इफको ने 200 मॉडल नैनो ग्राम समूह (क्लस्टर) चयनित किए हैं.

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बाढ़ग्रस्त इलाके में सूखा और सूखे इलाके में बाढ़ क्यों?

क्यों सूखे इलाके में बाढ़ की तस्वीरें हैं और भरपूर पानी वाले इलाकों में सूखा. पिछले दिनों राजधानी दिल्ली से लेकर बिहार तक हमने कई इलाके ऐसे देखे जहां पानी के लिए जद्दोजहद थी और उन्हीं जगहों के दूसरे इलाकों में बाढ़.

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