टिश्यू कल्चर तकनीक

टिश्यू कल्चर तकनीक का कमाल, बिहार में केले के रकबे में 58 प्रतिशत और उत्पादन में 261 प्रतिशत का उछाल

बिहार ने कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों के सहारे बड़ा कदम बढ़ाया है. राज्य में टिश्यू कल्चर तकनीक के जरिए केले की खेती में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2004-05 में जहां कुल उत्पादन 5.45 लाख मीट्रिक टन था, वहीं 2022-23 में यह बढ़कर 19.68 लाख मीट्रिक टन हो गया है.

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केले की फसल को बर्बाद कर देते हैं ये रोग, लक्षण और बचाव का तरीका भी जानिए 

कृषि विभाग के मुताबिक़ अक्टूबर-नवंबर के महीने में केले की फसल में अक्सर पीला सिगाटोका रोग, काला सिगाटोका और पनामा विल्ट रोग का प्रभाव देखा जाता है। यह फफूंद जनित रोग है, जिसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है। इनके एक बार लग जाने से किसान की पूरी फसल बरबाद हो सकती है।

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केले के किसानों को कृषि विभाग की सलाह, फसल में लगने वाले इन तीन रोगों का ऐसे करें उपचार

केले की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। केले(Banana) की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इससे काफी अच्छी कमाई की जा सकती है। बिहार कृषि(agriculture department) विभाग ने केले में लगने वाले पीला सिगाटोका, काला सिगाटोका और पनामा विल्ट रोग का लक्षण और उपचार बतायें हैं।



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तकनीक से तरक्की पार्ट-8 : केला की वैज्ञानिक खेती से बने बेस्ट बनाना फार्मर

धार (मध्य प्रदेश)। “जब हमने शुरुवात की थी हमारे पास साईकिल भी नहीं थी। गरीबी के चलते किताबी ज्ञान में पीछे रह गए। बीता कल संघर्षों से भरा रहा है। वो काफी बुरा दौर था,आर्थिक तंगी ने उन्हें आगे पढ़ने नहीं दिया। बीए की पढाई के दौरान किराया न होने के कारण पेपर भी नहीं…

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