गन्‍ने की वैरायटी COLK 0238 की बुवाई करने वाले क‍िसान हो जाएं सावधान, तुरंत करें ये उपाय नहीं तो होगा बड़ा नुकसान

लखनऊ। प‍िछले 15-20 द‍िनों से उत्‍तर प्रदेश, ब‍िहार सहित देश के दूसरे राज्‍यों में प्रचंड गर्मी पड़ रही। पूरे मई महीने में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा रहा। इतने ज्‍यादा तापमान ने क‍िसानों के सामने भी बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। इस बीच गन्‍ना की वेरायटीCOLK 0238 की पेड़ी के खेतों में लाल सदन रोग के प्रारंभिक लक्षण देखने को मिल रहे हैं। क‍िसाना ने बताया क‍ि पिछले वर्ष पौधे की फसल में भी लाल सड़न रोग था। कुछ पौधे के खेतों में भी लाल सड़न रोग के लक्षण दिखायी दिये। ऐसे किसानों ने रोग ग्रस्त खेतों से बीज लेकर बुवायी की गयी थी।

अब बड़ा सवाल यह है क‍ि क‍िसान अपने गन्‍ने की फसल को इस रोग से कैसे बचाएं। कृषि वैज्ञानिक और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित डॉक्‍टर बख्शी राम यादव ने अपने फेसबुक पोस्‍ट के माध्‍यम से क‍िसानों को जरूरी राय दी है। वे कहते हैं क‍ि इतनी गर्मी में लाल सड़न रोग के लक्षण मिलना एक अच्छे भविष्य के संकेत नहीं हैं। यदि तुरंत उपाय नहीं किए गए तो मानसून में यह रोग बहुत तेज़ी से फैलेगा। मेरी सभी किसान भाइयों से प्रार्थना हैं कि तुरंत प्रभाव से निम्नलिखित कार्य कीजिए। फसल आपकी है, लाभ या नुकसान भी आपका ही हैं। फ़ैक्टरी के स्टाफ के भरोसे नहीं रहिए, अपने गन्ने को आप लोगो से बेहतर और कोई नहीं बचा सकता। मैंने आप लोगो को दोपहर में खेतों में कार्य करते देखा हैं। तो नीचे लिखे के अनुसार अपने गन्ने को बचाइये-

1. लाइनवार फोटो में दिखाए गए लक्षणों की पहचान करके पूरे मेड़ को जड़ से उखाड़ना है।
2. मेड़ उखाड़ने से हुए गड्ढे में 5-10 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालकर बाहर आयी मिट्टी से गड्ढे को वापिस भर देना हैं।
3. उखाड़े हुए पौधों को बालटी या कट्टे में भरकर गन्ना के खेतों से दूर जला कर या मिट्टी के नीचे दबा कर नष्ट करना है।
4. रोग ग्रस्त पौधों को निकालने के बाद हेक्सास्टॉप, गोडीवा सुपर, अज़ाका डुओ या अमिस्टार टॉप का छिड़काव एक ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से करे।

याद रखें दवा के छिड़काव का असर खेत से रोग ग्रसित पौधे निकालने पर ही होगा। उपरोक्त कार्य में बहुत ही लगन की आवश्यकता हैं। लाइन वार कार्य करने से ही सफलता मिलेगी।

कौन हैं डॉक्‍टर बख्शी राम यादव

कृषि वैज्ञानिक डॉ. बख्शी राम को गन्ना क्षेत्र में अभूतपूर्व शोध एवं विकास कार्यों के लिए जाना जाता है। उन्हें उत्तर भारत की सबसे अधिक पैदा होने वाली गन्ना किस्म CO-0238 के विकासकर्ता के रूप में जाना जाता है। इस क‍िस्‍म की बुवाई हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में 84% से अधिक और पूरे भारत में 54% से अधिक होती है। डॉ. बख्शी ने करनाल स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, गन्ना प्रजनन संस्थान में इस फसल किस्म के लिए वैज्ञानिकों की अनुसंधान टीम का नेतृत्व किया और इसे 2009 में लांच किया। शुगर केन मैन डॉक्‍टर बख्शी को वर्ष 2023 में पद्म श्री सम्मान से सम्‍मानित क‍िया गया

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