Sugarcane Cultivation:गन्ने से हम कई रूपों में मिठास लेते हैं जैसे गुड़, राब, शक्कर, खांड, बूरा, मिश्री और चीनी भी।
आपको पता है कि विश्व में जितने क्षेत्र में गन्ने की खेती की जाती है, उसका लगभग आधा हमारे देश में होती है। गन्ने की फसल हमारे देश की सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है।
भारत में गन्ने की खेती लगभग 50 लाख हेक्टेयर (2017-18 से 2022-23 के बीच औसतन) में होती है। गन्ने की औसत उपज लगभग 84 मीट्रिक टन प्रति प्रति हेक्टेयर है। यदि किसान यह जान लें कि गन्ने में कब और कितनी खाद दी जाये और कब और कैसे सिंचाई की जाए तो गन्ने की उपज को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं।
लेकिन ऐसा नहीं है कि देश में सभी किसान एक जैसे ही हैं कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने गन्ने की खेती में तरह तरह के प्रयोग कर औसत से ज़्यादा उत्पादन ले रहे हैं जिससे उनकी कमाई भी अच्छी हो रही है। इन्ही में से एक हैं लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश के किसान दिलजिंदर सिंह, जो ‘वर्टिकल सिंगल बड मेथड ‘ से खेती करते हैं। कहते हैं “खड़ी गुल्ली गन्ना बुवाई कई मायनों में ख़ास है” आइए समझते हैं विस्तार से।
दिलजिंदर सिंह न्यूज़ पोटली को बताते हैं
“सामान्य या ट्रेंच मेथड से गन्ने की खेती के अपेक्षा वर्टिकल सिंगल बड मेथड में पानी, लेबर, बीज, जुताई और कीटनाशक का प्रयोग बहुत ही कम लगता है। मतलब ये कि इस मेथड में लागत कम लगती है और उत्पादन ज़्यादा होता है।”

गन्ने की बुवाई और अच्छी पैदावार के लिए कुछ चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं जैसे बुआई का समय, अच्छी पैदावार के लिए गन्ने की बुवाई अक्तूबर-नवम्बर में करना चाहिए। इसके अलावा खेत की तैयारी, बीज का चुनाव, बीज की मात्रा, बीज की कटाई (जो की बहुत महत्वपूर्ण है), बुआई का तरीका, सिंचाई और खार-पतवार नियंत्रण। वर्टिकल सिंगल बड मेथड से गन्ने की खेती में इन सब का हिसाब किताब समझिए।
क्या है वर्टिकल सिंगल बड मेथड?

यह गन्ने की बुवाई वह तरीका है जिसमें किसान कम पानी, कम लेबर, कम बीज में ज़्यादा उत्पादन कर सकते हैं।
इस मेथड को वर्टिकल सिंगल बड इस लिये बोलते हैं क्योंकि इसमें गुल्ली यानी बीज खड़ा लगाता जाता है और ये बेड के किनारे पर लगती है ना की नाली के अंदर।
और ये एक स्पेसिफिक डायरेक्शन में लगती है जिधर सूर्य की रोशनी पौधे को मिलती रहे।इससे ये होता है की पौधे की अच्छी ग्रोथ के लिए हवा, पानी और गर्मी सही मात्रा में मिलता है।
खेत की तैयारी कैसे करें?

दिलजिंदर सिंह बताते हैं कि
“इस तरीके से गन्ने के बुवाई करने के लिए साधारण और सूखा खेत चाहिए होता है। बुवाई से पहले सूखे खेत की जुतायी की जाती है। फिर सूखे खेत में 4 से 4.5 फीट पर बेड बनाया जाता है। उसके बाद बुवाई से दो घंटे पहले खेत में दो बेड के बीच बनी नाली में पानी देना होता है। पानी इतना ही दें कि वो नाली से ऊपर यानी बेड पर ना चढ़े।फिर बेड के किनारे पर जिस तरफ से सूर्य की रोशनी बराबर मिलती रहे उसी दिशा में गन्ने के बड यानी बीज को लगाना होता है। आगे बताते हैं कि बीज यानी बड को आधा इंच ज़मीन में गाड़ा जाता है।”
कम पानी, कम लेबर, कम बीज में ज़्यादा उत्पादन
पानी के प्रयोग के लिए दिलजिंदर बताते हैं –
“यही महत्वपूर्ण है इस तरीक़े की खेती में कि बीज को खेत में पानी भर के डुबाया नहीं जाता है। बल्कि बीज को सिर्फ़ नमी की ज़रूरत होती है इसलिए इसमें पानी कम से कम लगता है। लेबर इस लिये कम लगता है क्योंकि खेत की सिर्फ़ एक बार जुतायी करनी पड़ती है और खरपतवार बहुत कम लगता है जो की थोड़े से पेस्टीसाइड्स और खरपतवार नाशक से खत्म हो जाता है।”
पौधे से पौधे की दूरी

इस मेथड में गन्ने के बीच की दूरी दो फीट रखी जाती है उस हिसाब से देखा जाये तो एक एकड के खेत में 36 से 37 बेड बनते हैं जिसमें लगभग बीज के लिए 450 से 500 गन्ने की ज़रूरत पड़ती है जबकि नार्मल या ट्रेंच मेथड से बुवाई करने पर 30 से 45 क्विंटल गन्ने लग जाते हैं। और उत्पादन की बात की जाये तो 500 से 600 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन होता है।
सिंचाई कैसे करनी है?
दिलजिंदर सिंह के मुताबिक सिंचाई के लिए इस मेथड में पानी सिर्फ दो बेड के बीच में बनी नाली में ही देना है ना की पूरे खेत को पानी से भरना है। इससे एक तो पानी की बचत होती है दूसरा ये कि ज़्यादा पानी फसल को नुकसान करता है तो ये नहीं होगा। और तीसरा सबसे जरूरी ये कि बेड के ऊपर कम खरपतवार जमेंगे क्योंकि ऊपर पानी नहीं मिलेगा जिससे की वो जमते हैं।
कीटनाशक और खरपतवार नियंत्रण
दिलजिंदर बताते हैं –
“वर्टिकल सिंगल बड मेथड से गन्ने की बुवाई करने पर खेत के एरिया के हिसाब से कीटनाशक नहीं डालते हैं बल्कि इसमें पौधे के हिसाब से डालते हैं। क्योंकि इसमें कम बीज लगता है इसलिए सामान्य से एक चौथाई कीटनाशक डालना होता है।
सीड ट्रीटमेंट के लिए बताते हैं कि बहुत पानी की ज़रूरत नहीं है मात्र 150 लीटर पानी में 200 ग्राम के हिसाब से कीटनाशक डालते हैं। और इसमें निराई गुड़ाई के लिए लेबर की कोई ज़रूरत नहीं है चुकी इसमें बहुत कम खर पतवार आते हैं जिसे हम नार्मल वीडीसाइड्स से दूर कर सकते हैं।”

दिलजिंदर सिंह बताते हैं कि ये विधि उन्होंने पंजाब के प्रगतिशील किसान सरदार अवतार सिंह से सीखी है।
आपको बता दें कि गन्ने का उत्पादन सबसे ज्यादा ब्राज़ील में होता है और भारत का गन्ने की उत्पादकता में पूरे विश्व में दूसरा स्थान हैI हमारे यहाँ गन्ने की खेती बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है और विदेशी मुद्रा लेने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। और भारत में सबसे ज़्यादा गन्ना उत्पादन की बात करें तो सबसे पहले उत्तर प्रदेश का नाम आता है। यहां 22 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन पर गन्ने का उत्पादन किया जाता है। इसके बाद दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र और तीसरे स्थान पर कर्नाटक आता है।