चीनी उद्योग ने इथेनॉल खरीद मूल्यों में संशोधन और मिश्रण लक्ष्य को 20% से आगे बढ़ाने की मांग की है, क्योंकि राष्ट्रीय इथेनॉल कार्यक्रम में इस क्षेत्र का योगदान 73% से घटकर केवल 28% रह गया है। इस गिरावट का मुख्य कारण यह है कि गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य या एफआरपी में वृद्धि के अनुरूप इथेनॉल खरीद मूल्यों में वृद्धि नहीं की गई है, जिससे चीनी मिलों के लिए इथेनॉल उत्पादन कम लाभदायक हो गया है। आपको बता दें कि इस वर्ष 40 लाख टन तक चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने की संभावना है, परन्तु केवल 32 लाख टन चीनी ही इथेनॉल में परिवर्तित होने की उम्मीद है।
राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (एनएफसीएसएफ) ने एक बयान में कहा कि उद्योग ने इथेनॉल की मांग को बढ़ावा देने और उच्च मिश्रण के लिए बाजार की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों (एफएफवी) के त्वरित प्रचार और विनिर्माण की भी मांग की है। बयान में कहा गया है कि आईएफजीई के शुगर बायोएनर्जी समूह के अध्यक्ष और एनएफसीएसएफ के बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य रवि गुप्ता के नेतृत्व में उद्योग प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय में आयोजित एक बैठक में यह मांग की थी।
कुल ब्लेंडिंग लक्ष्य का केवल 28%
एनएफसीएसएफ ने कहा कि 2022-23 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में, चीनी उद्योग ने 43 लाख टन चीनी को इथेनॉल उत्पादन की ओर मोड़कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जिससे 369 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति संभव हुई है, जो देश भर में ईंधन के साथ मिश्रित कुल इथेनॉल का 73% है। हालांकि, 2023-24 में चीनी आधारित फीडस्टॉक्स से इथेनॉल की आपूर्ति घटकर 270 करोड़ लीटर रह गई, जो राष्ट्रीय ब्लेंडिंग कार्यक्रम में केवल 38% का योगदान है। बयान में कहा गया है, “2024-25 में इसके और घटकर 250 करोड़ लीटर रह जाने का अनुमान है, जो 900 करोड़ लीटर के कुल ब्लेंडिंग लक्ष्य का केवल 28% है।”
क्या है वजह ?
एनएफसीएसएफ ने कहा, “यह कमी इथेनॉल की कीमतों और घरेलू बाजार में सीधे चीनी बेचने से मिलने वाले बेहतर रिटर्न के बीच अंतर के कारण है। जिसकी वजह से भारत की प्रति वर्ष 952 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन क्षमता, जिसमें मल्टी-फीड डिस्टिलरी से 130 करोड़ लीटर उत्पादन शामिल है, उसका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है।
2025 तक इथेनॉल मिश्रण 4.22% से बढ़कर 18.61% हुआ
इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति-2018 के तहत अधिशेष चीनी स्टॉक के दीर्घकालिक मुद्दे के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान के रूप में उभरा है, जिसने इथेनॉल उत्पादन के लिए प्रतिवर्ष 60 से 70 लाख टन अतिरिक्त चीनी को मोड़ने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। नीति के लागू होने के बाद से, भारत की इथेनॉल उत्पादन क्षमता 2018 में 518 करोड़ लीटर से बढ़कर 2025 में 1,800 करोड़ लीटर हो गई है। इसी प्रकार, पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण दर 30 अप्रैल, 2025 तक 4.22% से बढ़कर 18.61% हो गई है। चालू 2024-25 सीजन के 30 अप्रैल तक चीनी का उत्पादन 286.9 लाख टन तक पहुंच गया है, जिसमें से 30 लाख टन इथेनॉल के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है।
डीजल में इथेनॉल मिश्रण की संभावना
उद्योग ने इसके अतिरिक्त विभिन्न ईंधन प्रकारों में इथेनॉल के उपयोग को बढ़ाने के लिए भविष्य की रणनीति के रूप में डीजल में इथेनॉल मिश्रण की संभावना का मूल्यांकन करने का सुझाव दिया है। एनएफसीएसएफ ने कहा कि चीनी को इथेनॉल में बदलने से चीनी का वास्तविक उत्पादन कम नहीं होता, बल्कि इससे अधिशेष चीनी स्टॉक का प्रबंधन करने, बाजार मूल्यों को स्थिर करने, चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने तथा किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।