कुली से करोड़पति तक: महाराष्ट्र के अनार किसान की कहानी

success story of pomegranate farmer nashik maharashtra

ये केदार जाधव हैं, ग़रीब परिवार जन्मे केदार नाशिक के मालेगाँव में कुली का काम करते थे। इनके दूर रिश्तेदारी में एक शख़्स चीनी मिल में सीनियर अधिकारी था, परिवार की स्थिति देख जाधव उनसे काम माँगने गये। ये वो दौर था जब सरकारी नौकरियों में उतनी क़िल्लत नहीं थी, जाधव को भरोसा था एक दिन उनकी नौकरी लग जाएगी। लेकिन सामने वाले शख़्स को एक घरेलू नौकर मिल गया था।

साल बीतते गये, बहुतो की नौकरी उनके हाथों लगी लेकिन केदार की नहीं। केदार बाक़ी काम करने के अलावा उस अधिकारी के बाग बगीचे की देखभाल करते थे, इसी दौरान महाराष्ट्र सरकार ने एक योजना के तहत फल की बाग़वानी को बढ़ावा देना शुरू किया। जिसमें अनार (दाड़िम) प्रमुख था। Mahatma Phule Krishi Vidyapeeth Rahuri की तरफ़ से चीनी मिलों के कुछ अधिकारी और मैनेजमेंट के लोगों को भी ट्रायल के तौर पर पेड़ मिले थे। केदार जाधव को अपने मालिक के यहाँ उन पेड़ों की देखभाल की ज़िम्मेदारी मिली। University के अधिकारी हर महीने वहाँ आते, पौधों की ग्रोथ देखते और टिप्स देते. कुछ वर्ष ये सिलसिला चला और केदार जाधव इतने पारंगत हो गये कि चीनी मिल से जुड़े (गन्ना के अलावा अनार की खेती) अनार किसान उनसे सलाह लेने आने लगे। समय अपनी गति बदलता है और केदार जाधव के संघर्ष का चक्र पूरा हो गया था, कुली से माली बने केदार जाधव अब कंसल्टेंट हो गये थे, अनार की पैदावार से लेकर रोग तक लोग उनसे सलाह लेने आने लगे थे। इसी बीच केदार ने एक किसान के साथ मिलकर साझेदारी में बाग लगाया, क्योंकि वो भूमिहीन थे, अनार अच्छा फला और लाखों की आमदनी हुई।

नाशिक और उसके आसपास के किसानों में केदार का क़द इतना बड़ा हो गया था कि शेतकरी उन पर आँख मूँद कर भरोसा करते थे। इसी भरोसे का कमाल था कि कुछ पैसे वाले किसानों ने उन्हें अपने पैसे से ज़मीन खरीदवा दी, क्योंकि वो जानते थे, बाग से पैसे कमाकर केदार वापस कर देंगे। और हुआ भी ऐसा ही। केदार ने खूब पैसा कमाया और दूसरों को भी कमाने के लिए प्रेरित किया। ट्रैक्टर लिया, ज़मीन ख़रीदी, घर बनवाया। महाराष्ट्र में अनार की खेती ने लाखों किसानों को नया जीवन और तरक़्क़ी दी है। एक दौर ये भी कि लोग नौकरियों छोड़कर अनार की खेती में पैसे लगाते थे। किसानों के मुताबिक़ एक एकड़ में 10 लाख रुपये तक की कमाई होती थी।

लेकिन 10-15 साल पहले लाल अनार पर तेलिया और निमोटोड समेत कई रोगों और बीमारियों की काली साया पड़ गई। बाग के बाग सूखने लगे। हताश किसानों को मजबूरी में बाग काटने पड़ रहे। ज़्यादातर किसान उस दौर में अनार की बूटी (कलम) लगाते थे। नर्सरी चलाने वाले लालची लोग रोग वाले पौधे धड़ल्ले से बेचकर पूरे महाराष्ट्र में फैला रहे थे। रोग का असर केदार जाधव पर भी आया। भारी नुक़सान हुआ, कर्ज में डूबे, ट्रेक्टर तक बिक गया।

केदार ने हार नहीं मानी, अनार की खेती का रोगों का इलाज उन्होंने अपने तरीक़ों से निकाल लिया था। उनकी बाग भी बच गई थी। टिश्यु कल्चर पौधों में ऐसी तमाम दिक़्क़तें नहीं होती हैं। केदार फिर अनार से पैसे कमाने लगे हैं। तमाम मुश्किलों के बाद भी वो कहते हैं कि खेती से अच्छा कोई रोज़गार नहीं है। लेकिन खेती ऐसे करो, इनका समझ कर करो कि उसमें समझो डाक्टरी हो गई है। क़रीब डेढ़ साल पहले NewsPotli की टीम उनके घर पहुँची वो ऐसे जोश से भरे और खेती में रमे मिले।

केदार का पूरा वीडियो यहाँ देखें:

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Arvind Shukla

Arvind Shukla is a freelance journalist and founder of News Potli, a website that tells the stories of farmers, women, and tribal people.

Based in Lucknow, Uttar Pradesh, he grew up in a farming community and has spent years documenting the impact of climate threats, such as droughts, floods, and water shortages, on farmers and their livelihoods.

He has previously written about the plight of sugar workers, including a story focusing on how mills in Uttar Pradesh and Maharashtra owe sugarcane cutters billions in outstanding payments.

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