तकनीक से तरक्की सीरीज में मिलिए मध्य प्रदेश के धाकड़ किसान और कृषि कारोबारी सक्कू दरबार से.. सक्कू दरबार, धार जिले के गेहल गांव में रहते हैं.. जहां वो और उनका परिवार केला, डॉलर चना और गन्ने की खेती और उससे जुड़ा कारोबार करता है, उनका सालाना टर्नओवर करीब 3 करोड़ रुपए का है।
धार (मध्य प्रदेश)। सक्कू दरबार अपने छोटे भाई प्रवीण मनोहर सिंह सोलंकी के साथ मिलकर 70 एकड़ में खेती करते हैं। उनका खुद का बेटा बड़वानी में गारमेंट का काम करता है तो भतीजा केला कारोबारी है। उनके यहां से केला मेट्रो, मदर डेयरी से लेकर रिलायंस और विदेश तक जाता है।
मध्य प्रदेश में धार और बढ़वानी दोनों जिलों का ये सीमावर्ती इलाका खेती के नजरिए से बहुत खास नजर आता है। यहां किसान कपास, टमाटर, हरी मिर्च, पपीता, शरीफा, प्याज, सब्जियां और बड़े वाले चने की खेती करते हैं.
आज ये इलाका भारत के सम्पन्न खेतीहर इलाकों में है, हालांकि न हमेशा से इस इलाके के हालात ऐसे थे… और न ही सक्कू दरबार के परिवार के। बिना पानी इस सूखे इलाके में खेती मुश्किल काम था।, फिर पास में एक नहर निकली तो खेती को आक्सीजन मिली, लेकिन असली तरक्की तब आई जब किसानों ने नर्मदा से पाइप डालकर बूंद-बूंद सिंचाई विधि से खेती शुरु की।
सक्कू कहते हैं, हम निमाड वालों से ज्यादा पानी की कीमत कौन जानेगा? इसलिए हम लोग खेती में भी पानी की हर बूंद का इस्तेमाल करते हैं, जिसका फायदा भी मिल रहा है।
55 साल का ये किसान भले ही 9वीं तक ही पढ़ा हो लेकिन इनके खेती करने का तरीका नए जमाने का है.. वो स्मार्ट खेती करके कम लागत में ज्यादा मुनाफा लेते हैं। उन्होंने अपने खेतों में सिंचाई के 2 आटोमेशन यूनिट लगा रखी हैं। सक्कू और उनके भाई कहते हैं, सिंचाई और खाद देने के आटोमैटिक इरिगेशन सिस्टम ने उन्हें खेती के रोजमर्रा के कामों से आजादी दे रखी है, जिससे वो अपना समय बिजनेस को भी दे पाते हैं।
किसान से कृषि कारोबारी बनने की उनकी कहानी बड़ी रोचक है। वो कहते हैं, हम अपनी खेती में जो नए तरीके अपनाते… आसपास के किसान उसे देखने आते। अपने लिए टिशु कल्चर केला मंगवाते तो दूसरे किसान भी मंगवाने को कहते, ऐसे में वो उनके लिए ऑर्डर देते। ऐसा करते करते वो किसान के साथ पहले ट्रांसपोर्टर बने फिर डीलर बन गए।
सक्कू दरबार के छोटे भाई प्रवीण मनोहर सिंह सोलंकी, डॉलर चने की खेती की विधि बताते हैं, जिससे किसान एकड़ में 1 लाख से सवा लाख रुपए तक कमा रहे हैं। उनके मुताबिक अक्टूबर-नवंबर से चने की बुवाई करते हैं, ड्रिप से सिंचाई करते हैं, जिससे प्रति एकड़ 8-12 कुंटल तक उत्पादन मिलता है। और कई बार ये बढ़ भी जाता है।
डॉलर चने की खेती करने वाले धार के शहाबुद्दीन मंसूरी कहते हैं, हमने खेती में जो कुछ किया.. सब सक्कू भाई को देखकर किया, इनके सहयोग से हमारे जैसे सैकड़ों किसानों को फायदा हुआ है।
गांव में रहकर सक्कू दरबार का परिवार खुशहाल जिंदगी जी रहा है। खेती के जरिए वो न सिर्फ खुद तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रहे बल्कि दूसरों को भी हौंसला दे रहे।
तकनीक से तरक्की में देश के कोने-कोने से उन खास किसानों की कहानियां हैं, जिन्होंने खेती में कुछ नया किया है, वो किसान तो तकनीक के साथ खेती करके मुनाफे की फसल काट रहे हैं। खेती किसानी की रोचक जानकारी के लिए न्यूज पोटली देखते और पढ़ते रहिए।
तकनीक से तरक्की सीरीज – न्यूज पोटली और जैन इरिगेशन की जागरुकता मुहिम है, सीरीज में उन किसानों की कहानियों को शामिल किया जा रहा है, जो खेती में नए प्रयोग कर, नई तकनीक का इस्तेमाल कर मुनाफा कमा रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन, आटोमेशन, फर्टिगेशन सिस्टम आदि की विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें-
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