पंजाब में चावल का स्टोरेज बना बड़ा सिरदर्द, धान उत्पादन बढ़ेगा लेकिन बिकेगा कहाँ

अगर खेतों में धान की पैदावार बढ़े तो ये किसानों के लिए ख़ुशख़बरी ही होती है. और अगर वो किसान पंजाब जैसे राज्य के हों जो देश के उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा उगाता है तब ये खुशखबरी पूरे देश की हो जाती है. लेकिन इस बार ज्यादा उत्पादन की संभावना के बावजूद पंजाब के किसान खुश नहीं हैं. इसके पीछे का कारण है स्टोरेज की समस्या. पंजाब में जितने भी राइस मिल के मालिक हैं, वह परेशान हैं.

समस्या क्या?

दरअसल पंजाब के इन व्यापारियों ने पिछले साल किसानों से धान तो खरीद लिया लेकिन नियमानुसार जब धान की कुटाई कर के सरकार को चावल बेचा जाना था, वह प्रक्रिया फॉलो नहीं हो सकी.  राज्य के राइस मिल मालिकों ने धमकी दी है कि इस बार अक्टूबर में जब धान की खरीद होगी तो वो और धान नहीं खरीद सकेंगे. अखबार द ट्रिब्यून के एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे जैसे धान के फसल तैयार होने का समय नजदीक आ रहा है, किसानों की चिंता बढ़ती जारही है। अभी भी प्रदेश के अलग अलग राइस मिलों में 6 लाख टन अनाज रखा है जिसकी खरीद इस साल 3 मार्च तक कर ली जानी थी. राज्य सरकार ने खरीद के दिन 30 जून तक बढ़ा भी दिया था लेकिन अब उसके चालीस दिन बाद भी ऐसी कोई तस्वीर नहीं दिख रही कि राइस मिल में खराब होने जा रहे चावल सरकारी गोदामों तक पहुंचेंगे. ऐसे में आने वाली धान की फसल के लिए ये खतरा बहुत बड़ा होता जा रहा है. ट्रिब्यून की इसी रिपोर्ट में फिरोजपुर के एक राइस मिल मालिक ने बताया है कि

“हमारे अनाज में कीड़े लगने का खतरा मंडरा रहा है. और अगर ऐसा हाल पिछले साल के ही खरीदे अनाज का है तो हम कैसे अक्टूबर में नई फसल की खरीद चालू कर पाएंगे और अगर खरीद कर भी ली तो उसे रखेंगे कहाँ? घाटा उठा कर खरीद करना तो हमारे वश का अब नहीं है”

क्या हैं नियम?

पंजाब में अब तक नियम ये है कि राइस मिल ओनर जितना भी धान सरकार से खरीदेंगे उसका 62 परसेंट चावल उन्हें सरकार को बेचना पड़ेगा. ऐसा करने को सरकार भी बाध्य है और मिल मालिक भी. लेकिन फिलहाल ऐसा संभव नहीं हो सका है. मिल मालिकों की एक समस्या और है. उनका कहना है कि धान की एक वैराइटी है PR 12, जिसका प्रमोशन सरकार ने भी जोरशोर से किया था और धान की इस किस्म को खेतों में उगाने के लिए किसानों को कहा गया था. मिल मालिकों का कहना है इस धान की पैदावार तो बढ़िया है लेकिन धान से चावल निकालने में ये वैराइटी कमजोर है. सरकार ने जो 62 प्रतिशत का मानक रखा है, उतना चावल इस धान से निकलता नहीं है. मिल मालिकों ने ये भी कहा कि चूंकि राज्य सरकार ने इस बार भी धान की इसी वैराइटी का प्रमोशन ज़ोरों शोरों से किया है, इसलिए इस बार भी धान की खरीद में उन्हें घाटा साफ दिखाई दे रहा है. 

क्या कर रही है सरकार?

पंजाब में किसानों की इस समस्या पर राज्य सरकार के कृषि अधिकारी अब तक कई बैठक कर चुके हैं. ट्रिब्यून ने पंजाब सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि इस समस्या को देखते हुए पंजाब सरकार राइस मिल्स के चावल दूसरे राज्यों में बेचने की तैयारी में है. हालांकि इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ज़्यादातर राज्य जो चावल की खपत में आगे है, वो उत्पादन के मामले में भी आत्मनिर्भर हैं ऐसे मैं पंजाब सरकार के सामने ये चुनौती बड़ी होने जा रही है. अधिकारियों का दावा है कि अक्टूबर के पहले ही पंजाब सरकार राइस मिलों से बीस से तीस मीट्रिक टन अनाज खरीद लेगी लेकिन सवाल ये है कि जब इस साल होने वाली पैदावार का आकलन ही 180- 200 मीट्रिक टन कहा जा रहा है, राज्य सरकार की ये खरीद भूसे में सुई के बराबर ना हो जाए? इतनी बड़ी मात्रा में किसानों का अनाज फिर से बर्बाद होने के कगार पर ना पहुँच जाए, किसानों और राइस मिल मालिकों की चिंता ये है.

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