हिमाचल में खेती-बागवानी पर विशेष ध्यान, इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए 2 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी राज्य सरकार

कृषि और बागवानी

हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने राज्य में कृषि और बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए 2 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनायी है. सरकार का कहना है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. आपको बता दें कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा दे रही है. सीएम ने कहा कि सरकार ने इस साल एक लाख नए किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है. प्राकृतिक खेती करने वाले सभी किसानों को हिम परिवार रजिस्टर से जोड़ा जाएगा.

मुख्यमंत्री ने 24 अप्रैल को कृषि, बागवानी और अन्य संबद्ध विभागों के सीनियर अफसरों के साथ बैठक की अध्‍यक्षता की. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि और बागवानी उत्पादों की प्रोसेसिंग कर उनकी मार्केटिंग करने के लिए बेहतरीन व्यवस्था विकसित की जा रही है. इसी सोच के साथ मिल्‍क सेक्‍टर के विकास के लिए भी नई-नई कोशि‍शें की जा रही है. सीएम ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में पशुधन का भी महत्वपूर्ण योगदान है.

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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दि‍या जा रहा है. इसके लिए प्रदेश सरकार ने चालू वित्‍त वर्ष अप्रैल-मार्च 2025-26 में किसानों को प्राकृतिक खेती से उगने वाली हल्दी के लिए 90 रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम और मक्का के लिए 40 रुपये प्रति किलोग्राम समर्थन मूल्य देने का निर्णय लिया है. 

प्रदेश सरकार ने पायलट आधार पर हमीरपुर और कांगड़ा जिलों में हिम गंगा योजना के तहत पहले फेज़ की शुरुआत की है. मिल्कफैड ने मंडी, कुल्लू और शिमला जिलों में 120 ऑटोमैटिक और 32 डिजिटल मिल्‍क कलेक्‍शन यूनिट्स बनाई हैं. बैठक में कृषि मंत्री प्रो. चन्द्र कुमार, बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी, विधायक आशीष बुटेल, मिल्कफैड के अध्यक्ष बुद्धि सिंह ठाकुर, सचिव पशुपालन रितेश चौहान, मिल्कफैड के प्रबन्ध निदेशक विकास सूद और अन्य सीनियर अफसर मौजूद थे.

 ये देखें –

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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