इस साल जून में देशभर में हुई कम बारिश की वजह से खरीफ की मुख्य फसल धान का रकबा सामान्य से 94% कम रहा।कृषि एवं किसान कल्याण विभाग 5 जुलाई को जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि धान की बुवाई 2.2 मिलियन हेक्टेयर (एमएचए) में की गई है। यह आंकड़ा 40.5 एमएचए के सामान्य बुवाई क्षेत्र से बहुत कम है। सामान्य की गणना 2018-19 और 2022-23 के बीच इसी अवधि के दौरान दर्ज की गई औसत बुवाई के रूप में की जाती है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन (जून-सितंबर) का पहला महीना जून 11 प्रतिशत की कमी के साथ समाप्त हुआ। इस महीने में मानसून में लंबा ब्रेक भी देखा गया, जिससे जिलों में बारिश का वितरण असमान हो गया। जून 2024 में भारत के 49 प्रतिशत जिलों में कम (सामान्य से 20 प्रतिशत से 59 प्रतिशत कम) या बहुत कम बारिश (सामान्य से 60 प्रतिशत से अधिक कम) हुई है। इनमें से 31 प्रतिशत में कम और 18 प्रतिशत में बहुत कम बारिश हुई है।
इससे बारिश पर निर्भर किसान अनिश्चित स्थिति में आ गए हैं। कई किसानों ने समय पर मानसून आने की आशंका के चलते बुवाई में देरी की है। धान की बुवाई ‘सामान्य’ से कम रही, लेकिन यह 2023 की इसी अवधि की तुलना में मामूली रूप से अधिक 0.004 एमएचए रही।
हालांकि, डेटा में विभिन्न फसलों के तहत बोए गए क्षेत्र के राज्यवार आंकड़े नहीं दिए गए हैं। वास्तव में चालू फसल सीजन में यह पहली बार है जब केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने फसल-वार क्षेत्र कवरेज रिपोर्ट जारी की है। पिछले अपडेट में केवल खरीफ की समग्र स्थिति की रिपोर्ट की गई थी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन की वेबसाइट जो आमतौर पर हर शुक्रवार को फसलवार और राज्यवार डेटा अपडेट करती है, ने पिछले कई हफ्तों से डेटा जारी नहीं किया है।
कुल खरीफ स्थिति
पांच जुलाई को जारी किए गए आंकड़ों में विभिन्न श्रेणियों के तहत 21 प्रमुख खरीफ फसलों (धान सहित) के बोए गए क्षेत्र को दिखाया गया है – दालें (अरहर, उड़द, मूंग), बाजरा (ज्वार, रागी, बाजरा), तिलहन (मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी), गन्ना, जूट और कपास।
कुल मिलाकर अब तक खरीफ फसलों के तहत बोया गया संयुक्त क्षेत्र इस समय के सामान्य क्षेत्र से 85.5 मिलियन हेक्टेयर कम था। 2024 में 28 जून तक 24.7 मिलियन हेक्टेयर बोया गया है। इसी अवधि के लिए सामान्य बोया गया क्षेत्र 109.5 मिलियन हेक्टेयर है। हालांकि, 2023 में, जून के अंत तक 18.1 मिलियन हेक्टेयर बोया गया था।
लगभग सभी खरीफ फसलों की स्थिति ऐसी ही है। उदाहरण के लिए, दालों (सभी को मिलाकर) के अंतर्गत बुवाई का क्षेत्रफल 2.2 मिलियन हेक्टेयर है जबकि दालों के लिए सामान्य’ क्षेत्रफल 13.6 मिलियन हेक्टेयर था। इसी तरह तिलहन और कपास की बुवाई क्रमशः 4.2 मिलियन हेक्टेयर और 5.9 मिलियन हेक्टेयर हुई है जबकि इनका सामान्य क्षेत्रफल क्रमशः 19 मिलियन हेक्टेयर और 12.9 मिलियन हेक्टेयर है। मक्का की बुवाई 2.3 मिलियन हेक्टेयर में की गई है, इसका सामान्य क्षेत्रफल 7.6 मिलियन हेक्टेयर है।
इस बीच, गन्ने का क्षेत्रफल (5.6 मिलियन हेक्टेयर) इस समय तक इसके सामान्य बुवाई क्षेत्रफल (5.1 मिलियन हेक्टेयर) से अधिक था। हालांकि, बाजरा, मूंगफली, अरंडी और जूट को छोड़कर सभी फसलों 2023 की इसी अवधि की तुलना में 1 जुलाई, 2024 तक अधिक क्षेत्रफल में बुवाई हुई।