Renewable Energy, खासकर सोलर पावर से ग्रामीण इलाकों में बड़ा बदलाव आ रहा है। सोलर पंप से किसानों के सिंचाई के लिए बिजली और डीजल का पैसा बच रहा है, अंधेरे घरों में उजाला हो रहा है। सोलर से आटा चक्की से लेकर कई कुटीर उद्योग चल रहे हैं। सोलर से समृद्धि में ऐसे ही प्रेरणादायक वीडियो स्टोरी हैं।
बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। कॉलेज की पढ़ाई के बाद जब सर्वेश वर्मा के ज्यादातर साथी नौकरी की तलाश में शहरों की तरफ पलायन कर रहे थे, वो अपने बाबा-दादा के खेतों में उम्मीदें के बीज बोने निकल पड़े थे। 8 एकड़ में धान, गेहूं, गन्ना, आलू और मेंथा की खेती शुरू की लेकिन सिंचाई के खर्च ने खेती से कमाई का उनका सारा गणित बिगाड़ दिया।
सर्वेश वर्मा अपने सोलर वाटर पंप के पास खड़े होकर बताते हैं “ईंजन के लिए रोज डीजल लाना पड़ता था, बिगड़ जाए तो मैकेनिक को खोजते फिरो पर जब से सोलर प्लेट लगवाई ये सभी खर्चे खत्म हो गए और कोई भाग दोड़ भी नहीं करनी पड़ती है।”
खेती में लागत यानी इनपुट कॉस्ट का बड़ा हिस्सा सिंचाई, उर्वरक और मजदूरी में जाता है, लेकिन उन इलाकों में सबसे ज्यादा खर्च सिंचाई पर हो जाता है जहां न नहरें हैं, और न ही सरकारी ट्यूबवेल। और बिजली की लाइन खेतों से दूर होती है।
सोलर पंप को लेकर शुरुआत में सर्वेश में कई उलझने थीं। कहीं पानी कम ना निकले। गर्मियों के अलावा बाकी महीनों सिंचाई कैसे होगी। एक लाख रुपए का रिस्क सर्वेश के लिए बड़ा भी था। लेकिन वो कहते हैं, किसान तो सबसे ज्यादा जोखिम लेता है, खुले आसमान के नीचे लाखों रुपए की फसलें उगाता है। फिर ये दांव तो उन्हें खेलना ही था… और फिर एक बार जब पानी निकलना शुरू हुआ तो उलझनों के काले बादल अपनेआप छंट गए।
सर्वेश के मुताबिक सरकारी सब्सिडी के अलावा उन्हें 2-2 एचपी के इन पंप के लिए करीब एक लाख रुपए देने पड़े थे, लेकिन 2 ही साल में उनकी लागत निकल आई।
सर्वेश अब खेती में नए प्रयोग कर रहे हैं। सोलर पंप से सिंचाई तो मुफ्त हो गई। और अब वे धरती के पानी की धरोधर को वो बचाना चाहते हैं। इसलिए अपने आधे खेत में धान के बीजों की सीधी बुवाई की है।
प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान यानी पीएम-कुसुम के अंतर्गत सरकार किसानों को सोलर सिंचाई पंप लगाने के लिए प्रेरित कर रही है। इसके लिए 2, 3 और 5 एचपी के पंप की योजना है। पीएम कुसुम योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर 60 फीसदी सब्सिडी देती हैं। सर्वेश कहते हैं, उनके यहां डीजल इंजन अब बंद ही रहता है, ये देखकर दूसरे कई किसान भी सोलर पंप लगवा रहे हैं। फार्म भरने में वो उनकी मदद भी करते हैं।
सर्वेश की देखादेखी सोलर पंप लगवाने वाले उनके पड़ोसी किसान लवकुश वर्मा बताते हैं, हमारे पास 4 एकड़ जमीन है। हमने जबसे ये सोलर लगवाया है। मैं आलू, मेंधा और धान की खेती करता हूं। पहले एक फसल की एक सिंचाई में एक बार में 6-7 लीटर डीजल लगता है। अब डीजल की महंगाई तो आप देख ही रहे हैं, लगभग 90 रुपए लीटर है। खेती में सिंचाई का खर्च बहुत ज्यादा था, सोलर लगने के बाद वो पूरा पैसा बच रह है।”
लवकुश आगे जोड़ते हैं, “सोलर को चलाना बहुत आसान है, इसमें एक बटन लगा है जिसे सिर्फ दबाना होता है, जो मेरे बुजुर्ग पिता जी भी कर लेते हैं, इसमें करंट लगने का भी कोई डर नहीं है।
सर्वेश के मुताबिक उनके सोलर पंप लगाने के बाद आसपास के 4 किसान और पंप लगवा चुके हैं। वो कहते हैं, “हम तो कहेंगे हर किसान सोलर लगवाए, जैसे हमारी बचत होती है वैसी हो उसकी भी हो।”
नोट- “सोलर से समृद्धि” सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने वाली संस्था Solar Energy Society of India और न्यूज पोटली का साझा जागरुकता अभियान है। अगर आप सोलर एनर्जी के क्षेत्र में कार्यरत संस्था, एनजीओ या फिर कंपनी है तो इस अभियान में भागीदार बन सकते हैं।
If you are an organization/ Company working in the field of Renewable Energy, you too can be part of this campaign, Do contact- Solar Energy Society of India- Email- info@sesi.in Moblie- 9355155775 News Potli – Email- NewsPotlioffice@gmail.com , Mobile- 9369592964