सोशल अल्फा एक इनोवेशन क्यूरेशन और वेंचर डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म है। जो किसान उपयोगी और कृषि क्षेत्र में कार्यरत स्टार्टअप को न सिर्फ आगे बढ़ाता है बल्कि उन्हें किसानों से जोड़ने का काम करता है।
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। किसान के सामने बीज बुवाई से लेकर फसल तैयार करने और उसे मार्केट में बेचने तक, हर स्तर पर समस्याएं हैं। इनमें से कई समस्याओं का हल विज्ञान और तकनीकी ने निकाल भी लिया है, लेकिन वो छोटे किसानों तक नहीं पहुंच पई हैं। कई ऐसे उत्पाद और मशीने हैं जो किसानों की सहायक है, लेकिन उन्हें बनाने वाले भी किसानों तक पुहंच नहीं पा रहे हैँ। इन समस्याओं को दूर करने के लिए किसान और विज्ञान के बीच सोशल अल्फा पुल का काम कर रहा है।
सोशल अल्फा एक इनोवेशन क्यूरेशन और वेंचर डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म है। जो प्रौद्योगिकी और उद्यमशीलता के माध्यम से स्वास्थ्य, जलवायु और आजीविका की जटिल समस्याओं को हल करने के लिए प्रयासरत है। सोशल अल्फा उत्तर प्रदेश में 45 से अधिक तकनीकी आधारित साल्युशन लेकर आया है जो किसानों के लिए मददगार हो सकते हैं।
सोशल अल्फा के निदेशक ओंकार पांडे ने न्यूज पोटली से कहा, “आप आप देखते हैं किसान अगर सब्जी और फसल पैदा कर लेते हैं तो उनके लिए उसे सही दाम पर बेचना एक बड़ी चुनौती रहती है। किसानों का मार्केट लिंकेज नहीं है, कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं ऐसे में कई मुश्किल झेलते हैं। ऐसे में हम डि-सेंट्रलाइज तकनीक और इनोवेशन को प्रमोट करते हैं जो ग्राम पंचायत स्तर पर, किसान के खेत पर उनकी समस्या का समाधान कर सकें। जैसे केला किसानों के लिए हमने छोटे बनाना रैपिंग चैंबर और कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की है।”
केले का उदाहरण देते हुए आगे ओंकार पांडे बताते हैं, “पूर्वी और मध्य यूपी में बड़े पैमाने पर केले की खेती होती है लेकिन कच्चा केला किसान को 4-6 रुपए किलो बेचना पड़ता है। इसमें ज्यादातर मुनाफा बिचौलिए लेकर जाते हैं तो उसे 15-18 रुपए किलो मंडी में बेचते हैं। हमने कई जिलों में बॉयो मॉस आधारित कोल्ड स्टोरेज और रैपनिंग चैंबर (केला पकाने के लिए) डेवलप किए हैं जो बिना बिजली भी चलते हैं। ऐसे में किसान अपने खेत पर ही केला पकाकर 2-3 गुना मुनाफा कमा सके।’

सोशल अल्फा के मुताबिक स्टैंडर्ड साइज की यूनिट जो 15 टन की होती है और 12-13 लाख में तैयार होती है। इन्हें लगवाने में सोशल अल्फा अपने सहयोगियों और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के साथ मिलकर किसानों की सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है।
उत्तर प्रदेश को लेकर सोशल अल्फा की रुचि के बारें में बताया गया कि, यूपी देश के बड़ा कृषि आधारित राज्य है लेकिन यहां के ज्यादातर किसान छोटे और सीमात हैं, जो कई खेती के साथ अपनी आजीविका लेकर कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के दौर में किसानों की आय कम हो रही है और खेती आर्थिक रुप से असुरक्षित हो रही है।
ओंकार पांडे कहते हैं, “हमने छोटे और सीमांत किसानों की प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के संदर्भ में India Agritech Incubation network (IAIN) कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में शुरू किया है। सोशल अल्फा स्टार्टअप परिवेश को सक्षम करते हुए किसानों की इनपुट लागत को कम करने, फसलों की उत्पादकता बढ़ाने, उत्पाद के मूल्य में वृद्धि करने और कृषि तंत्र को सुदृढ़ करने में कार्यरत हैं।”
सोशल अल्फा ने 9 मई को लखनऊ, यू.पी. में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जिसमे उत्तर प्रदेश मे कार्यरत 60 से अधिक संगठनो (एफपीओ, एनजीओ, सीएसआर, अनुसंधान संस्थानों, सरकारी प्रतिनिधियों और आजीविका आधारित स्टार्टअप) ने भाग लिया
कार्यशाला को संबोधित करते हुए सोशल अल्फा के निदेशक (आजीविका और समृद्धि) ने कहा, “कृषि और पशुधन से जुड़े छोटे और सीमांत किसानों कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैँ। उनके छुट्टा पशु, मिट्टी की खराब होती गुणवत्ता, कृषि लागत की बढ़ती लागत, मार्केट की दिक्कत, छोटे किसानों के लिए मशीनों की समस्या प्रमुख हैं। हमारी कोशिश है, नई तकनीक, नए इनोवेशन के साथ हाथ मिलाकर हम तकनीक को लैब से निकालकर किसानों के खेत तक पहुंचाना है।
कार्यशाला में मुख्य रुप से शामिल हुए स्टार्टअप
1) EF पॉलीमर- जिसने कृषि में पानी की खपत को कम करने के लिए एक प्राकृतिक जल-अवशोषक विकसित किया 2) LCB Fertilizers- जिसने मिट्टी के पुनर्जनन में मदद करने के लिए प्राकृतिक उर्वरक और कीटनाशक विकसित किए हैं।
3) Niyo- कम लागत की छिड़काव के लिए कृषि उपकरण का विकास किया है जो शारीरिक श्रम को काम करती है। 4) Pishon- गन्ने की खेती के लिए 5 इन 1 transplanter 5) New leaf dynamics- जिन्होंने बायोमास आधारित कोल्ड स्टोरेज और डिहाइड्रेशन समाधान विकसित किया है।
नोट- गांव और किसानी किसानी से जुड़े मुद्दों के लिए न्यूज पोटली के #YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें और ट्वीटर पर जुड़े रहें
Arvind Shukla is a freelance journalist and founder of News Potli, a website that tells the stories of farmers, women, and tribal people.
Based in Lucknow, Uttar Pradesh, he grew up in a farming community and has spent years documenting the impact of climate threats, such as droughts, floods, and water shortages, on farmers and their livelihoods.
He has previously written about the plight of sugar workers, including a story focusing on how mills in Uttar Pradesh and Maharashtra owe sugarcane cutters billions in outstanding payments.