संसद का मॉनसून सत्र जारी है. चुटीली से लेकर तनाव वाली बहसों से भी संसद के दोनों सदन गूंज रहे हैं. इसी दौरान गुरुवार को देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन को संबोधित किया. दरअसल, बीजेपी के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने सवाल पूछा था कि देश में कीटनाशकों का कितना उपयोग किया जा रहा है, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट की जाए. उसी का जवाब देते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कीटनाशकों के राज्यवार इस्तेमाल के आंकड़े सदन में रखे.
अपने जवाब में शिवराज ने सदन को बताया कि पिछले 3 सालों में देश भर में 168,021.09 मीट्रिक टन केमिकल पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल किया गया है. इस साल अब तक 55193.15 मीट्रिक टन रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया गया है. ये आँकड़े 2022-23 से 1,562.96 टन मीट्रिक टन ज्यादा है.
सबसे ज्यादा केमिकल पेस्टिसाइड्स इस्तेमाल करने वाले प्रदेशों में यूपी अव्वल है. उत्तर प्रदेश में साल भर के भीतर 11828 मीट्रिक टन पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल किया गया है. इससे पहले भी पिछले 3 सालों से लगातार यूपी इस सूची में टॉप कर रहा है. पिछले 3 साल में यूपी में 35,340 मीट्रिक टन कीटनाशकों का इस्तेमाल किया है. इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र है और महाराष्ट्र के बाद पंजाब, हरियाणा हैं. मध्यप्रदेश इस मामले में सही पोजीशन पर है क्योंकि वहाँ पिछले तीन सालों में इस्तेमाल किए गए कीटनाशकों की मात्रा भी टॉप 4 राज्यों के इस साल के इस्तेमाल से भी काफी कम है.
हालांकि इन आंकड़ों के मुताबिक बड़ी संख्या में कीटनाशकों के प्रयोग के ट्रेंड में बदलाव भी आया है. देशभर के किसान धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब जैविक कीटनाशकों की ओर बढ़ रहे हैं. कई राज्यों में आँकड़े इस मामले में चौंकाते हैं.
मध्यप्रदेश में 1.09 प्रतिशत रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले 4.52 फीसदी जैव कीटनाशकों का प्रयोग किया गया है. इसके बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी हैं जिन्होंने बड़े पैमाने पर जैव कीटनाशकों को अपनाया है. सिक्किम एकमात्र ऐसा राज्य है इस सूची का जो पूरी तरह से जैविक कीटनाशकों पर कृषि के लिए निर्भर है. वहीं सिक्किम भारत के एक मात्र जैविक राज्य के तौर पर सामने आया है.
जैव कीटनाशकों के इस्तेमाल में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है पश्चिम बंगाल में जहां किसानों ने 7.39 प्रतिशत रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले 20.22 फीसदी जैव कीटनाशकों का प्रयोग किया है. दूसरी ओर दक्षिण के तमिलनाडु में 3.57 रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले किसानों ने 12.28 प्रतिशत जैव कीटनाशकों का प्रयोग किया.
लेकिन कुछ राज्यों के आँकड़े जरूर चिंताजनक हैं. पंजाब में आम कीटनाशकों के 9.52 प्रतिशत के मुकाबले 2.48 फीसदी जैव कीटनाशकों का प्रयोग किया गया है। महाराष्ट्र में यही अंतर तकरीबन 15 फीसदी का हो जाता है, जहां 15.80 प्रतिशत रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले मात्र 0.37 जैव कीटनाशकों का ही उपयोग किया गया है. इसी तरह से उत्तर प्रदेश में यह फासला 20 फीसदी से भी अधिक है, जो पर्यावरण के मुताबिक खेती के लिहाज से चिंताजनक है.

शिवराज सिंह चौहान (संसद में)
शिवराज सिंह चौहान ने एक नए पैटर्न का जिक्र भी किया. उन्होंने जानकारी दी कि साल 2021 में किसान जैव कीटनाशकों के प्रति उत्साहित थे लेकिन उसके बाद से इनकी सानखया में गिरावट आई है. जैसे: राजस्थान में साल 2021-22 में 1268 मीट्रिक टन जैव कीटनाशकों का उपयोग किया गया था लेकिन साल 2022-23 में ये घट कर 170 हो गया और इस साल जैव कीटनाशकों का उपयोग केवल 154 मीट्रिक टन है. कुछ यही हाल महाराष्ट्र का भी है, महराष्ट्र में साल 2021-22 में जैविक कीटनाशकों का उपयोग 934.41 मीट्रिक टन था, जो अब घटकर 28.78 मीट्रिक टन रह गया है.