क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल खरीफ फसलों पर भारी बारिश और बाढ़ का बड़ा असर पड़ा है। पंजाब और राजस्थान सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं, जहाँ धान, गन्ना, कपास और दलहनों को नुकसान हुआ है। धान और गन्ने की पैदावार 5-10% और कपास की 15-20% तक घट सकती है। राजस्थान में बाजरा, ज्वार और सोयाबीन जैसी फसलें डूबीं, जबकि दक्षिणी राज्यों में असर सीमित रहा। रिपोर्ट ने चेताया है कि अगर सितंबर की बारिश अस्थिर रही तो खाद्य आपूर्ति पर दबाव और महंगाई दोनों बढ़ सकते हैं।
देशभर में भारी बारिश और बाढ़ ने खरीफ फसलों को नुकसान पहुँचाया है। क्रिसिल की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब और राजस्थान सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। आने वाले दिनों में सितंबर की बारिश धान, गन्ना, कपास, सोयाबीन, मक्का और प्याज़ जैसी प्रमुख फसलों के उत्पादन का रुख तय करेगी।
पंजाब में रिकॉर्ड बारिश, खेतों में जलभराव
अगस्त में पंजाब में सामान्य से 74% अधिक बारिश दर्ज हुई। इसके चलते 42.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से करीब 70,000 हेक्टेयर फसलें डूब गईं। धान, गन्ना और कपास की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं। हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद और जींद ज़िलों में भी धान की पैदावार घटने के संकेत मिल रहे हैं।
धान पीला पड़ा, गन्ने में बीमारी का खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक अत्यधिक बारिश से धान के पौधों की पत्तियाँ पीली हो रही हैं और पैदावार 5-10% तक घट सकती है। गन्ने में लाल सड़न रोग का खतरा है, जो चीनी की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर असर डाल सकता है। कपास में फूल झड़ने और कीट हमले से 15-20% तक नुकसान का अनुमान है।
राजस्थान और अन्य राज्यों की स्थिति
राजस्थान के अजमेर, टोंक, कोटा, बूंदी, जयपुर और दौसा ज़िलों में बाजरा, ज्वार, सोयाबीन, मूंगफली, मूंग और उड़द की फसलें भारी बारिश से प्रभावित हुईं। यूपी में गंगा-यमुना किनारे खेत डूबे। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में असर सीमित रहा, लेकिन दलहन और सब्ज़ियों की पैदावार पर दबाव दिखा।
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खाद्य आपूर्ति और दामों पर असर
दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत की सालाना बारिश का 76% लाता है। इस साल 2 सितंबर तक औसत से 7% अधिक बारिश दर्ज हुई। रिपोर्ट चेतावनी देती है कि बेमौसम बारिश से खाद्यान्न आपूर्ति बिगड़ सकती है और महंगाई तेज़ हो सकती है। यह अहम है क्योंकि ग्रामीण घरों की खपत का 47% और शहरी घरों की खपत का 40% हिस्सा भोजन पर ही खर्च होता है।
सितंबर से जुड़ी उम्मीदें और आशंकाएँ
क्रिसिल का मानना है कि सितंबर का मौसम खरीफ फसलों की पैदावार के लिए निर्णायक होगा। मौसम विभाग ने उत्तर और मध्य भारत में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान जताया है। अगर बारिश संतुलित रही तो फायदा होगा, लेकिन अस्थिर बारिश कीमतों और आपूर्ति दोनों पर दबाव डाल सकती है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।