जून में भारत के सरकारी गोदामों में चावल और गेहूं का भंडार भरा पड़ा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1 जून 2025 तक चावल का भंडार पिछले साल की तुलना में 18% बढ़कर 59.5 मिलियन मीट्रिक टन रिकॉर्ड स्तर पर है, जो सरकार के 1 जुलाई के 13.5 मिलियन टन के लक्ष्य से कहीं अधिक है। वहीं, अच्छी खरीद के कारण गेहूं का भंडार भी 36.9 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो चार साल का उच्चतम स्तर है।
सरकारी एजेंसी FCI की मजबूत खरीद और सरकार की नीतियों से ये स्पष्ट है कि देश बिना आयात किए ही घरेलू मांग को पूरा कर सकता है। वहीं चावल के रिकॉर्ड भंडार से भारत को वैश्विक निर्यात बढ़ाने का मौका मिलेगा।
आंकड़ों के अनुसार, 1 जून 2025 को गेहूं का भंडार 36.9 मिलियन टन था, जो सरकार के 27.6 मिलियन टन के लक्ष्य से अधिक है। FCI ने 2025 में किसानों से 30 मिलियन टन गेहूं खरीदा, जो चार साल में सबसे अधिक है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले तीन वर्षों की निराशाजनक फसल और कम खरीद ने गेहूं की कीमतों को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया था, लेकिन अब पर्याप्त स्टॉक से आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी और पर्याप्त स्टॉक से कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
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चावल के निर्यात की संभावनाएं
देश में चावल के रिकॉर्ड भंडारण से वैश्विक निर्यात बढ़ने की संभावना है। मार्च 2025 में निर्यात प्रतिबंध हटने के बाद, भारत अब वैश्विक चावल व्यापार में अपनी 40% हिस्सेदारी को और मजबूत कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक FCI के पास जरूरत से ज्यादा चावल है, जिससे सरकार नए सीजन की खरीद से पहले निर्यात को प्रोत्साहित कर सकती है।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।