साल 2024-25 में रबी फसल के तहत क्षेत्र 14.35 लाख हेक्टेयर बढ़कर कुल 565.46 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि 2023-24 में यह 551.11 लाख हेक्टेयर था। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में दी। उन्होंने कहा कि
भारत सरकार 28 राज्यों और 2 यूटी यानी जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और पोषण मिशन को लागू कर रही है। इसके तहत सरकार इन क्षेत्रों में किसानों को फसल सुरक्षा, कृषि जागरूकता, नयी किस्मों की जानकारी, कीट प्रबंधन, कृषि तकनीक, सही बीज, ड्रिप इरीगेशन समेत दूसरी सुविधाएँ देकर क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता बढ़ा कर खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाना चाहती है।
उन्होंने बताया कि सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कम समय के लिए कृषि ऋण पर रियायती ब्याज दरें देने के लिए पूरे भारत में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में “संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस)” लागू कर रही है। भारत सरकार ने फसल बीमा योजना की पहुंच, पारदर्शिता और दक्षता में सुधार के लिए कई उपाय भी लागू किए हैं, जिसमें राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) शामिल है, जो डेटा प्रबंधन, सब्सिडी भुगतान, कोआर्डिनेशन और ऑनलाइन किसान नामांकन के लिए एक केंद्रीकृत मंच है।
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किसानों के समाधान के लिए कृषि रक्षक पोर्टल
संसद में उन्होंने बताया कि देश में दावा वितरण प्रक्रिया की निगरानी के लिए डिजीक्लेम मॉड्यूल शुरू किया गया है। किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए जिला और राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समितियां स्थापित की गई हैं। इसके अलावा, कृषि रक्षक पोर्टल और हेल्पलाइन (टोल-फ्री नंबर 14447) किसानों को समाधान के लिए निश्चित समयसीमा के साथ दावों से संबंधित मुद्दों को उठाने की अनुमति देता है। यस-टेक, मौसम की जानकारी और नेटवर्क डेटा सिस्टम (डब्ल्यूआईएनडीएस), मध्यस्थ नामांकन के लिए ऐप (एआईडीई ऐप) जैसे अन्य तकनीक लागू किए गए हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को मंजूरी
मंत्री ने बताया कि सरकार ने 31.05.2023 को सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को मंजूरी दी है। इस योजना में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के स्तर पर विभिन्न कृषि बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है, जिसमें गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयां, उचित मूल्य की दुकानें आदि शामिल हैं।
बताया कि इसके अलावा, सरकार सभी छह अनिवार्य रबी फसलों के लिए खरीद की व्यवस्था करती है। गेहूं और जौ के लिए, एफसीआई और राज्य एजेंसियां किसानों को मूल्य समर्थन देती हैं। दालों (चना, मसूर) और तिलहन (रेपसीड/सरसों, कुसुम) की खरीद प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के माध्यम से मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत की जाती है, जब बाजार की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिर जाती हैं।
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