पूर्वांश (IPFD 18-3) फील्ड मटर की एक नई किस्म है जो जल्दी तैयार होती है, ज्यादा पैदावार देती है और कई जरूरी बीमारियों के प्रति काफी प्रतिरोधी है। इसमें प्रोटीन भी ज्यादा होता है और यह बिहार, झारखंड, असम, बंगाल और पूर्वी यूपी के किसानों के लिए उपयुक्त है।
उत्तर–पूर्व भारत के मैदानी इलाकों में रबी की फसलें अक्सर मौसम, मिट्टी और बीमारियों के कारण चुनौतियों से घिर जाती हैं। ऐसे में किसानों को ऐसी किस्म की जरूरत थी जो कम समय में अच्छी पैदावार भी दे और बीमारियों से भी लड़ सके। इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने तैयार की फील्ड मटर की उन्नत किस्म ‘पूर्वांश (IPFD 18-3)’।
कैसे बनी किसानों की उम्मीद?
कई वर्षों के शोध और ट्रायल के बाद विकसित की गई यह किस्म धीरे-धीरे किसानों के बीच लोकप्रिय होने लगी। पूर्वांश औसतन 17.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की मजबूत पैदावार देती है, जिससे छोटे किसानों को भी अच्छी कमाई हो सकती है। और खास बात यह है कि यह फसल सिर्फ 117 दिनों में तैयार हो जाती है, यानी कम समय ज्यादा उपज।

बीमारियों से लड़ने में सक्षम
फील्ड मटर की खेती में दो बीमारियाँ अक्सर किसानों की नींद उड़ा देती हैं पाउडरी मिल्ड्यू और एस्कोचाइटा ब्लाइट।
लेकिन पूर्वांश इन दोनों के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है। किसान बताते हैं कि इस किस्म में बीमारी का असर बहुत कम दिखता है, जिससे दवाइयों का खर्च भी काफी बच जाता है।इसके अलावा यह किस्म जंग (रस्ट) के प्रति भी मध्यम प्रतिरोध रखती है।
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पोषण का पावरहाउस
पूर्वांश सिर्फ पैदावार में ही नहीं, बल्कि पोषण में भी आगे है।इसमें 25.7% प्रोटीन मिलता है, जो इसे बाजार में ज्यादा मांग वाली किस्म बना देता है।चाहे घरेलू उपयोग हो या व्यापार उच्च प्रोटीन कंटेंट इसकी कीमत बढ़ा देता है।
किन राज्यों के लिए सबसे बेहतर?
वैज्ञानिकों ने इसे खासकर उत्तर–पूर्व मैदानी क्षेत्रों के लिए विकसित किया है। ये राज्य इस किस्म के लिए सबसे ज़्यादा उपयुक्त माने जाते हैं बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश ।इन राज्यों में मिट्टी और जलवायु पूर्वांश के लिए बिल्कुल अनुकूल है, इसलिए यहां के किसान इसे बड़े भरोसे के साथ उगा रहे हैं।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।