ASR विधि से धान की खेतीः लागत, पानी और समय तीनों बचेंगे और उत्पादन बढ़ेगा- अवतार सिंह

“धान की खेती में अब ज्यादा पानी और ज्यादा समय नहीं लगता, धान की खेती पुराने तरीके से न करके ACR विधि से करते हैं।”- अवतार सिंह , गुड ग्रो फार्म फगवाड़ा

लखीमपुर (उत्तर प्रदेश): प्रयोगों के दम पर पंजाब के फगवाड़ा में रहने वाले सरदार अवतार सिंह धान की खेती की DSR विधि में एक प्रक्रिया और जोड़ कर एक नई विधि डेवलेप की है। इसे वो ASR का नाम देते हैं यानि  Anaerobic seeding of rice.  अवतार सिहं न्यूज पोटली को बताते हैं कि सिर्फ 8 किलों बीज से एक एकड़ खेत में धान की बुआई हो जाती है।

पारम्परिक तरीके से धान की खेती के लिए किसान पहले धान की नर्सरी तैयार करता हैं फिर तैयार नर्सरी की रोपाई पानी से भरे खेत में की जाती हैं जिसमें मजदूर भी लगते हैं। बारिश न होने पर बुआई के लिए खेत में पानी ट्यूबवेल्ल से भरा जाता है।  2019 में आयी द टाइम्स ऑफ इण्डिया न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक अवतार सिंह के फार्म पर ASR विधि से धान की बुआई करने में पारम्परिक तरीके से बुआई करने में लगे पानी का 10 फीसदी पानी ही लगा। इस आंकडे की व्याख्या करते हुए कषि विभाग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर डॉ. सी आर वशिष्ठ उसी रिपोर्ट में बताते हैं“ फगवाड़ा की सीधी बुआई तकनीकी में इन्होनें 43,000 लीटर प्रति एकड़ पानी का इस्तेमाल किया है वहीं अगर पुराने चले आ रहें तरीके पर जाए तो उसमें एक एकड़ में 5.76 लाख लीटर प्रति एकड़ पानी लगता है, यानि 90 प्रतिशत से ज्यादा पानी बच गया।”

क्या है धान की DSR विधि

धान की खेती में पानी की खपत और लगने वाले समय को कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने DSR विधि को किसानों को अपनाने का सुझाव दिया। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान इस विधि से धान की खेती कर रहे हैं। साल 2021 में केवल पंजाब में 15 लाख एकड़ में DSR विधि से धान की बुआई की गई थी इस विधि को बढ़ावा देने के लिए साल 2022 में पंजाब सरकार ने 30 लाख एकड़ का लक्ष्य रखा था। लेकिन पंजाब के किसान सरदार अवतार सिंह के मुताबिक किसानों जो उमीद थी वो उत्पादन नहीं मिला।

कम उत्पादन का कारण समझाते हुए अवतार सिहं बताते हैं “धान हवामुक्त माहौल की फसल है यानि इसको जमने के लिए हवा नहीं चाहिए इसीलिए हम ASR विधि की बात करते हैं इसमें बुआई करने से पहले 6 बार तक पटरा लगाते हैं जिससे खेत की मिट्टी की सारी हवा बाहर निकल जाए और शीड ड्रिल से बुआई करने के बाद दो बार और ज्यादा वजन रख कर पटरा लगाते हैं। फिर 21 दिन बाद पानी दिया जाता है। अधिकतर बार ऐसा होता है कि पानी लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती है कयोंकि तब तक बारिश आ जाती है।” अवतार सिंह इसे धान की खेती का प्राकृतिक करण बताते हैं।

DSR और ASR विधि में अंतर

DSR मतलब direct seeded rice जिसमें शीड ड्रिल की सहायता से धान की सीधी बिजाई की जाती है। तीन से 4 दिन पहले ही खेत में सिंचाई कर दी जाती है फिर जब टैक्ट्रर चलने लायक हो जाता है जब मशीन से बुआई हो जाती है।

वहीं इसके विपरीत फगवाड़ा के गुड ग्रो फार्म की ASR तकनीकी में खेत को पानी तो दिया जाता है पर खेत की जुताई नहीं की जाती है क्योंकि ये विधि anaerobic गुण पर आधारित है जिसमें हवा की जरूरत नहीं पड़ती है। जुताई करने पर मिट्टी में हवा जाने के लिए सुराख बन जाते हैं जो इस विधि मूल को बिगाड़ देगें इसलिए बुआई के बाद भी दो बार पटरा लगा दिया जाता है।

क्या है सही समय

अवतार सिंह के मुताबिक ASR विधि से धान की खेती करने का सही समय जुलाई है क्योंकि जब तक आप सिंचाई का समय आएगा तब तक बारिश भी आ जाएगी। जो किसान अगर खेत की जुताई कर चुके हैं वो भी इस विधि से खेती कर सकते हैं बस उन्हें मैनजमेंट सही से करना होगा पहले वजन रखकर खेत में 6 बार तक पटरा लगाए।

अवतार सिंह खेती में ऐसे कई प्रयोग करते रहते हैं खेती में प्रयोग के आधार पर उन्होनें गन्ने की खेती में नई विधि वर्टिकल सिंगल बड विधि से गन्ने की खेती करते हैं और इसके साथ वो सहफसली खेती करते हैं। खेती का फगवाड़ा मॉडल आप नीचे दी गई वीडियो में देख सकते हैं, गन्ने की खेती का प्राकृतिक करण क्या है? देखिए…

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