पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने बाढ़ के बाद फसलों को बचाने के लिए किसानों को सलाह दी है। खेतों से जल्दी पानी निकालने पर जोर दिया गया है। धान-बासमती में यूरिया, पोटेशियम नाइट्रेट और फफूंदनाशक छिड़काव की सलाह है। मक्का, ज्वार और बाजरा में नुकसान के हिसाब से यूरिया का प्रयोग करने को कहा गया है। कपास किसानों को पैराविल्ट और गुलाबी सुंडी से बचाव के उपाय बताए गए हैं। वहीं, फलदार पेड़ों की देखभाल, टूटी शाखाओं की छंटाई और मिट्टी में नाइट्रोजन-पोटेशियम खाद डालने की हिदायत दी गई है।
पंजाब में हाल की बाढ़ ने खेतों में जलभराव बढ़ा दिया है और इसका सबसे बड़ा खतरा फसलों पर मंडरा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर खेतों में 4-5 दिन तक पानी भरा रहे तो पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं। इसी को देखते हुए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने किसानों के लिए खास एडवाइजरी जारी की है।
धान और बासमती
सबसे पहले पंप की मदद से खेत से पानी निकालें। अगर फसल के निचले पत्ते पीले पड़ रहे हैं तो 3% यूरिया का छिड़काव करें। बांझपन से बचाने के लिए 1.5% पोटेशियम नाइट्रेट का छिड़काव और फॉल्स स्मट रोग रोकने के लिए कोसाइड और बाद में गैलीलियो वे का प्रयोग करें।
मक्का, ज्वार और बाजरा
पानी निकलने के बाद नुकसान देखें। कम नुकसान पर दो बार 3% यूरिया छिड़कें, ज्यादा नुकसान पर इसकी मात्रा दोगुनी करें। अगर पौधे लंबे समय तक पानी में डूबे रहे तो उन्हें उखाड़ना जरूरी है।
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कपास
पैराविल्ट से बचाव के लिए कोबाल्ट क्लोराइड का प्रयोग करें और हर हफ्ते 2% पोटेशियम नाइट्रेट छिड़कें। साथ ही गुलाबी सुंडी के हमले पर नजर रखें।
फलदार पेड़
पेड़ों की जड़ों और शाखाओं की जांच करें। टूटी शाखाएं हटाएं और जल निकासी दुरुस्त करें। मिट्टी की पोषक परत बह जाने से पेड़ों को नाइट्रोजन और पोटेशियम खाद की जरूरत होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि पानी निकलते ही खेत और फसल की गहराई से जांच करना सबसे जरूरी कदम है। सही समय पर छिड़काव और देखभाल से नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।