अमरूद की फसल किसानों को अच्छा मुनाफा देती है। बाजार में हमेशा इसकी मांग बनी रहती है। यह पेट के रोगियों के लिए वरदान होता है। इसे गरीबों का सेब भी कहा जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में पोशक तत्व पाये जाते हैं जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ कंचन कुमार श्रीवास्तव ने अमरूद की बागवानी करने वाले किसानों को अच्छी पैदावार लेने के लिए सुझाव दिये हैं।
डॉ कंचन कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक अमरुद के पेड़ में साल में तीन बार फल लगते हैं। लेकिन किसान पूरे साल फल लेते हैं। पूरे साल फसल लेने से पौधा कमजोर होता है। वे आगे बताते हैं इसमें मुख्यत: गर्मी, जाडे और बरसात के सीजन में फल आते हैं। सर्दियों के मौसम में अमरूद की तुड़ाई करने वाले किसानों को अधिक लाभ होता है। इस समय तापमान में कमी के चलते फल की गुणवत्ता अच्छी होती है, फल मीठा होता है।
सघन और सामान्य बागवानी करें किसान
सघन बागवानी में 2-5 मीटर की दूरी पर लगाये जाते पौधे हैं। लाइन से लाइन की दूरी 2 से 3 मीटर होनी चाहिए। पौधे से पौधे की दूरी 2 से 3 मीटर होनी चाहिए। ऐसे में बगीचे में पौधों की संख्या बढ़ जाती है।
सघन बागवानी की खास बात है कि इसमें पौधे दूसरे साल ही फल आने शुरू हो जाते हैं। चौथे-पांचवे साल एक पेड़ 50 से 60 किलो निकलने लगते हैं।
सघन बागवानी में 6 से 7 साल के बाद पेड़ काफी लम्बे हो जाते हैं। पेड़ों की छाया दूसरे पेड़ों पर पड़नें लगती है ऐसे में 1.5 से 2 मीटर ऊपर के पौधे की पूरी तरह ने छंटाई करदें। छंटाई के एक साल बाद पेड़ में फल आना शुरू हो जाते हैं। पहले साल 4-5 किलो, दूसरे साल 20-25 किलो और तीसरे साल 35-40 किलो फल प्रति पेड़ के हिसाब से उत्पादन मिलने लगता है।
कटाई- छंटाई से बढ़ जाता फलों का साइज
अमरूद के पेड़ की कटाई-छंटाई करने से फल का साइज बढ़ जाता है। छंटाई के पहले यदि फलों का साइज 100 से 150 ग्राम के बीच होता है तो बाद में 200-250 ग्राम के फल आते हैं।
सामान्य बागवानी में अप्रैल-मई के महीने में पौधे की कटाई-छटाई की जाती है। पौधे की एक साल की बढ़वार को 75 से 80 प्रतिशत तक काट देते हैं। जिसके बाद अक्टूबर और दिसम्बर के मध्य में फल आना शुरू हो जाता है।
बरसात के मौसम में फल ना लेने के लिए करें ये काम
बरसात के मौसम में फसल लेने की बजाय सर्दियों के मौसम में लेने के लिए मार्च-अप्रैल के महीने में पेड़ के आसपास गहरी गुड़ाई करदें। गुड़ाई के कारण पेड़ को खाने वाली जड़ें कट जाती हैं, पत्तियां झड़ जाती हैं, जिससे पौधा सुप्तावस्था में चला जाता है। इस तरह पेड़ अपने आप को तैयार कर लेता है और जाड़े में पैदावार अच्छी होती है।
फल की बैगिंग करें
फल आने के 20 से 25 दिन बाद बैगिंग लगानी चाहिए। इससे फल की गुणवत्ता अच्छी होती है। फल में किसी प्रकार के दाग धब्बे नही होते।
अमरुद की उन्नत किस्में
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने अमरूद की चार उन्नत किस्में सीआईएसए-ललित,सीआईएसए-ललित,सीआईएसए-स्वेता ,सीआईएसए-धवल विकसित की हैं।
निमाटोड और विल्ट से पौधे को बचाएं
पेड़ को निमाटोड की बीमारी से बचाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
पौधे लेते समय जड़ जरुर धुलें। यदि जड़ में अगर गांठ की समस्या है तो ना लें। गांठ की समस्या से पूरे बाग में निमाटोड हो जाता है।
सिंचाई कैसे करें
अमरूद की बाग को आमतौर पर पानी की आवश्यकता कम होती है। गर्मियों के मौसम में हफ्ते में एक बार पानी लगाना चाहिए। जबकि सर्दियों के मौसम में 10-15 दिन अंतराल पर पानी लगाना चाहिए। मार्च और जून के बीच सिंचाई नही करनी चाहिए ताकि अवांछित फल और पत्तियां गिर जायें। बाग में पानी के ठहराव के लिए मल्चिंग जरुर बिछायें।
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