लखनऊ(उत्तर प्रदेश)। अगर आप कम समय में खेती करके कमाना चाहते हैं तो खीरे की खेती अच्छा विकल्प हो सकती है। इसमें 35 से 40 दिनों में फल आना शुरू हो जाता है। ये किसानों की आय बढ़ाने वाली एक अच्छी फसल है। कई राज्यों के किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं।
खीरा की खेती भारत मुख्य रुप से 2 सीजन में होती है। पॉलीहाउस आने के बाद ये अब कई जगहों के लिए बारामासी फसल है। खीरा में पानी की मात्रा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है इसलिए इसे गर्मियों में सलाद और कच्चे दोनों ही रूपों में खूब खाया जाता है। खीरा शरीर में पानी की कमी पूरी करता और उसे डिहाइड्रेट नहीं होने देता है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वष 2022 में भारत में करीब 115 हजार हेक्टेयर में खीरे की खेती होती है। जिससे औसतन उत्पादन करीब 1638 हजार मीट्रिक टन उत्पादन होता है।
लखनऊ के सोनिकपुर गांव के रहने वाले किसान विशाल सिंह बताते हैं “हमने 20 नवम्बर को 5.5 बीघे में खीरे सेमिनिस मालिनी किस्म की बुवाई की थी । इसमें हमारा 85,000 रुपये का खर्च आया था। हम चार बार तुडाई कर चुके हैं। बाजार में हमें 30 से 40 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं।”
खीरे की खेती के लिए मिट्टी
खीरे की खेती के लिए बलुई और दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का पी एच मान 6-7 के बीच होना चाहिए।
खीरे की उन्नत किस्में
सेमिनिस मालिनी,पूसा उदय,स्वर्ण शीतल,पंत संकर खीरा- 1 खीरे की ये किस्में 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाती हैं। इसमें उत्पादन अच्छा होता है।
गोबर की खाद का करें प्रयोग
खीरे के अच्छो उत्पादन के लिए गोबर की खाद को डालकर खेत का जुताई करें। इससे उत्पादन अच्छा होता है।
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