इफको ने उत्तर प्रदेश में आंवला, बरेली और फूलपुर, प्रयागराज में अपने दो और नैनो यूनिट्स में इफको नैनो डीएपी लिक्विड का व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है। दोनों नैनो उर्वरक यूनिट्स की क्षमता प्रतिदिन 2-2 लाख बोतल उत्पादन की है। उत्पादन में इस वृद्धि से देश में नैनो डीएपी लिक्विड की आपूर्ति बढ़ेगी और यह देश भर के हमारे किसानों को आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।
नैनो डीएपी लिक्विड पारंपरिक डीएपी से बेहतर विकल्प है क्योंकि नैनो डीएपी में 100 नैनोमीटर से कम कण होते हैं, जो इसे अधिक प्रभावी बनाते हैं। दाम कम होने की वजह से किसानों में नैनो डीएपी ने अपनी एक अलग लोकप्रियता बना ली है।
केमिकल फर्टिलाइजर के इस्तेमाल को कम करने के लिए नैनो खाद यूरिया को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस क्षेत्र में सहकारी संस्था IFFCO (इफको) क्रांति ला रहा है, जो नैनो डीएपी और नैनो यूरिया जैसे खाद समेत कई अन्य उत्पाद बना रहा है। उत्पादन क्षमता और बढ़ाने के उद्येश्य से इफको ने अपने दो प्लांट्स फूलपुर और आंवला यूनिट में नैनो डीएपी का कमर्शियल उत्पादन शुरू कर दिया है. दोनों ही यूनिट उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं. दोनों यूनिट्स में प्रतिदिन 2-2 लाख बॉटल का उत्पादन हो सकता है.
इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ यूएस अवस्थी ने लिखा कि “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि नैनो डीएपी लिक्विड के लिए किसानों से मिली शानदार प्रतिक्रिया के बाद इफको की आंवला इकाई ने भी इफको नैनो डीएपी लिक्विड का व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है. इस नैनो डीएपी इकाई की उत्पादन क्षमता 2 लाख बोतल प्रतिदिन है. यूनिट हेड सत्यजीत प्रधान और मुकेश खेतान, महाप्रबंधक (नैनो फर्टिलाइजर्स), आंवला नैनो प्लांट के नेतृत्व में इफको आंवला इकाई की पूरी टीम को मेरी हार्दिक बधाई. इससे देश में नैनो डीएपी की आपूर्ति बढ़ेगी.
इफको क्या करता है?
इफको देश-दुनिया में नैनो खाद समेत अन्य उत्पादों के माध्यम से किसानों को रासायनिक खाद के इस्तेमाल को कम करने में मदद कर रहा है. इससे मिट्टी की सेहत में तो सुधार होगा ही साथ ही रासायनिक खाद से उगी कृषि उपज की खपत से इंसानों और जानवरों पर हाेने वाले दुष्प्रभावों को कम करने में भी बड़ी मदद मिलेगी.
इफको प्राइमरी न्यूट्रिएंट्स, सेकेंडरी न्यूट्रिएंट्स, पानी में घुलनशील खाद, जैविक-बायो फर्टिलाइजर्स, माइक्रो न्यूटिएंट्स, नैनो खाद और अर्बन गार्डनिंग से जुड़े उत्पाद का निर्माण और वितरण करती है. नैनो खाद के इस्तेमाल से किसानों की लागत कम करना और आय बढ़ाना भी इफको के लक्ष्यों में शामिल है.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।