भारत सरकार खेती में ग्रीन फ्यूल आधारित मशीनों को बढ़ावा देने की तैयारी कर रही है ताकि 2047 तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक बन सके। कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि आने वाले 5–10 सालों में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर और CBG से चलने वाली मशीनों पर जोर दिया जाएगा, जिससे किसानों की लागत कम होगी और खेती पर्यावरण के अनुकूल बनेगी।
भारत सरकार अब खेती में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को ग्रीन फ्यूल यानी पर्यावरण के अनुकूल ईंधन पर चलाने की दिशा में काम कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि साल 2047 तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक देश बने। दिल्ली में आयोजित EIMA Agrimach कार्यक्रम में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि आने वाले समय में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर और CBG (Compressed Biogas) से चलने वाली मशीनों को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे किसानों की खेती की लागत कम होगी, मशीनों की मरम्मत पर खर्च घटेगा और खेती अधिक टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल बनेगी।
खेती में मशीनों का सही उपयोग जरूरी
उन्होंने कहा कि खेती में मशीनों का सही उपयोग किसानों की आय बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। इससे खेती की लागत कम होती है, उत्पादन बढ़ता है, फसल को वैल्यू एडिशन के जरिए बेहतर दाम मिलता है और जलवायु परिवर्तन का असर भी कम होता है। सरकार छोटे और सीमांत किसानों तक भी आधुनिक मशीनें पहुंचाने पर फोकस करेगी ताकि हर किसान इस बदलाव से जुड़ सके।
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तकनीकी सहयोग की अपील
कार्यक्रम में मौजूद इटली की कृषि मशीनरी कंपनियों से भी उन्होंने तकनीकी सहयोग की अपील की। इस कार्यक्रम में TAFE ग्रुप के टी. आर. केसवन और Corteva Agriscience के सुब्रोतो गीड भी मौजूद थे। सरकार का मानना है कि अगर आने वाले 5 से 10 सालों में खेती में ग्रीन टेक्नोलॉजी का प्रयोग बढ़ता है, तो भारत कृषि क्षेत्र में एक नया वैश्विक मानक स्थापित कर सकता है।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।