जुलाई अच्‍छा रहा, लेकिन स‍ितंबर में ज्‍यादा बार‍िश की आशंका, इन फसलों को हो सकता है नुकसान

बार‍िश, मानसून, आईएमडी

जून में कम बार‍िश के बाद जुलाई का महीना खेती के ल‍िहाज से बेहतर रहा। लेकिन भारतीय मौसम विभाग (IMD) का ताजा अनुमान क‍िसानों को चिंतित करने वाला है। मौसम व‍िभाग के अनुसार अगस्‍त में सामान्‍य बार‍िश होने की उम्‍मीद है। लेकिन लेकिन अगस्त-सितंबर की अवधि के दौरान ‘सामान्य से अधिक’ बार‍िश का भी अनुमान लगाया है। इसका सीधा मतलब है होता है कि स‍ितंबर में जब खड़ी फसल कटने को तैयार होगी, तब ज्‍यादा बार‍िश हो सकती है। गुरुवार को IMD के महानिदेशक एम मोहपात्रा ने कहा कि अगस्त-सितंबर 2024 के दौरान पूरे देश में वर्षा सामान्य से अधिक होने की संभावना है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के कई हिस्सों और पूर्वी भारत के आस-पास के इलाकों जैसे लद्दाख, सौराष्ट्र और कच्छ, मध्य और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों के कुछ अलग-अलग इलाकों में “सामान्य से कम” बारिश हो सकती है।

सितंबर में और बारिश की संभावना

आईएमडी ने इस महीने के लिए एक अलग पूर्वानुमान जारी किया है जिसमें भविष्यवाणी की गई है कि मध्य और पूर्वी प्रायद्वीपीय उत्तर भारत, दक्षिणी भारत, पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के कुछ आस-पास के इलाकों को छोड़कर पूरे देश में बारिश “सामान्य” रहेगी। सितंबर में अधिक बारिश की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सितंबर में अगस्त की तुलना में अधिक बारिश होने की संभावना है क्योंकि ला नीना की स्थिति बन रही है।

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जून-जुलाई के दौरान पूरे भारत में 453.8 मिमी बारिश हुई है जो इस अवधि के लिए सामान्य मानी जाने वाली 445.8 मिमी बारिश से 1.8 प्रतिशत अधिक है।

सोयाबीन की फसल को हो सकता है नुकसान

महापात्रा ने कहा कि मध्य भारत जो कृषि के लिए मानसून की बारिश पर बहुत अधिक निर्भर करता है, में लगातार तीसरे मानसून सत्र में अच्छी बारिश हो रही है, जिससे विशेष रूप से कपास, सोयाबीन और दलहन की फसल को मदद मिलने की संभावना है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश के कारण मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल को नुकसान हुआ था।

वहीं कृषि राज्यों में हरियाणा और पंजाब में बारिश की भारी कमी रही है। लेकिन बारिश का मौजूदा दौर और आने वाले हफ्तों में सामान्य बारिश की संभावना खरीफ फसलों के लिए कोई खतरा नहीं पैदा कर सकती है क्योंकि ये राज्य अत्यधिक सिंचित हैं।

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