बिहार में पपीता की खेती हुई आसान, सरकार दे रही है 75 प्रतिशत का अनुदान

बिहार

केंद्र व राज्य सरकारें देश में बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही हैं। कमाई अच्छी होने की वजह से देश के किसान भी बागवानी में रुचि दिखा रहे हैं। फिलहाल बिहार सरकार राज्य में पपीता की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 75 प्रतिशत की सब्सिडी भी दे रही है।

पपीता प्रमुख बागवानी फसलों में से एक है। 2022 की संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट बताती हैं कि पपीता के कुल वैश्विक उत्पादन में 38 प्रतिशत हिस्सा भारत का है। प्रमुख पपीता उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, बिहार, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश का नाम शामिल है। पपीते की बागवानी के लिए तापमान 10 से 26 डिग्री सेल्सियस तक हो सबसे उपयुक्त माना जाता है। लेकिन, बागवान अधिकतम 40 डिग्री सेल्सियस वाले वाले क्षेत्रों में इस फल का उत्पादन कर सकते हैं। 

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लागत 60 हजार रुपये निर्धारित
बिहार सरकार प्रदेश में पपीते की बागवानी को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत पपीते के लिए बागवानों को अनुदान दे रही है। इस योजना के तहत एक हेक्टेयर में पपीते की बागवानी की लागत 60 हजार रुपये निर्धारित की गई है। इस कुल लागत का 75 फीसदी हिस्सा बिहार सरकार सब्सिडी के तहत उत्पादक को देगी। पपीता के लिए मिट्टी का PH मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए। वहीं, हल्की दोमट या दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो सबसे सही होती है। 

कैसे करें आवेदन 
इस योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान बिहार के उद्यान विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (horticulture.bihar.gov.in) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

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