ब‍िजली कटौती और मानसून में कम बार‍िश, उत्तर प्रदेश में धान किसानों को कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा

ब‍िजली कटौती और धान की बुवाई

ज‍िला संभल। कोतवाली क्षेत्र का गांव बहजोई। किसान सुरेंद्र सिंह ने अपना और अपने ताऊ का 9 बीघा खेत में लगी धान की फसल पर ट्रैक्‍टर चला द‍िया।

वजह पूछने पर बताते हैं, “जून में आख‍िर में जब बार‍िश हुई तब धान लगाया था। लेकिन उसके बाद 20 जुलाई तब बार‍िश ही नहीं हुई। पानी के ल‍िए दूसरा व‍िकल्‍प नलूकप है। लेकिन ब‍िजली की आपूर्ति इतनी खराब थी कि पानी म‍िल ही नहीं पाया। फसल सूखने लगी। इसल‍िए फसल जोत द‍िया।” 

सुरेंद्र बताते हैं कि उन्‍हें लगभग 20 हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। उत्तर प्रदेश धान उत्‍पादन के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्‍य है। लेकिन खरीफ के इस सीजन में कम बार‍िश और ब‍िजली कटौती की वजह से धान उत्‍पादक क‍िसानों को कई तरह की समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा।

प्रदेश के कई ज‍िलों के क‍िसानों ने ब‍िजली कटौती की वजह से जून मध्‍य से जुलाई के बीच लगने वाली धान की फसल प्रभाव‍ित होने की श‍िकायत की। कम बार‍िश की वजह से धान में आने वाली लागत बढ़ गई। हालांकि प्रदेश सरकार की मानें तो इस राज्‍य में धान की बुवाई में प‍िछले वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी हुई है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 178 क‍िलोमीटर दूर बहराइच में लगभग तीन एकड़ में धान की खेती करने वाले मनेंद्र शुक्‍ला बताते हैं कि लाइट इतनी खराब है कि हम नलकूपों से भी स‍िंचाई नहीं कर पा रहे हैं। जून में कम बार‍िश की वजह से धान की बुवाई देर से शुरू हुई।

वहीं ज‍िला हमीरपुर के भरुआ में रहने वाले किसान वरदानी कुशवाहा ने बताया कि बार‍िश अच्‍छी हुई नहीं। जुलाई में 400 रुपए प्रत‍ि बीघा के ह‍िसाब से पानी खरीदना पड़ा। लेकिन लाइट न होने की वजह से नलकूप से भी पर्याप्‍त पानी नहीं मिल पाया।

कम बार‍िश ने किया नुकसान

भारतीय मौसम व‍िभाग की र‍िपोर्ट के अनुसार एक जून से 16 अगस्‍त के बीच उत्तर प्रदेश के ज्‍यादातर ज‍िलों में सामान्‍य से कब बार‍िश हुई। बात अगर पूर्वी उत्तर प्रदेश की करें तो बहराइच, बाराबंकी, च‍ित्रकूट, कन्‍नौज और सोनभद्र को छोड़कर सभी ज‍िलों में सामान्‍य से कम बार‍िश दर्ज की गई है।

वहीं बात अगर पश्‍च‍िमी उत्तर प्रदेश करें तो आगरा, औरैया, बदायूं, बरेली, एटा, फ‍िरोजाबाद, हमीरपुर, जालौन, कासगंज, ललितपुर, मुरादाबाद और रामपुर को छोड़कर अन्‍य दूसरे ज‍िलों में बार‍िश सामान्‍य से कम हुई है।

 बढ़ती मांग के बीच ब‍िजली कटौती ने बढ़ाई परेशानी

उत्तर प्रदेश का ग्रामीण क्षेत्र इस गर्मी के सीजन में ब‍िजली की कटौती से परेशान रहा। हालांकि प्रदेश सरकार लगातार सक कुछ ठीक होने का दावा करती रही। जबकि सच्‍चाई तो यह है कि यूपीएसएलडीसी यानी राज्य भार प्रेषण केंद्र ने मार्च में ही राज्‍य के कई ज‍िलों के कंट्रोल को बिजली कटौती से संबंधित आदेश भेज द‍िया था। इसमें लखनऊ समेत मध्यांचल के तमाम जिलों में ढाई-ढाई घंटे रोजाना बिजली कटौती करने का आदेश दिया गया। यह कटौती एक अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल तक जारी रही।  यानी हर रोज लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के करीब 18 से ज्यादा जिलों को ढाई घंटे बिजली कटौती का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा अघोषित बिजली कटौती अलग से रही।

जून 2024 में 11 तारीख की रात बिजली की मांग प्रदेश के इतिहास में सबसे अधिक 29,820 मेगावाट पर पहुंच गई, जबकि बिजली की खपत भी करीब 643 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई। 31 मई को बिजली की मांग 29,727 मेगावाट तक पहुंच गई थी, जिसे पावर कॉरपोरेशन ने नया रिकॉर्ड बनाते हुए पूरा किया। वर्ष 2023 में 24 जुलाई को अधिकतम मांग 28,284 मेगावाट तक पहुंची थी जो एक रिकॉर्ड था। हालांकि यह रिकॉर्ड 2024 में 22 मई को ही टूटा, जब बिजली की मांग 28,336 मेगावाट तक पहुंच गई। 

वहीं दूसरी ओर प्रदेश के मुख‍िया योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में सुचारू विद्युत आपूर्ति बनाए रखने के निर्देश लगातार देते रहे। उत्तर प्रदेश कॉरपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष कुमार गोयल अधिकारियों को बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए सतर्कता बरतने के निर्देश कई बार द‍िये। वे कहते हैं, “सभी कर्मचारी चुनौतीपूर्ण समय में पूरी लगन और मेहनत के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें। बिजली की लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं। पावर कॉरपोरेशन ने पूर्वानुमान के अनुसार बिजली की उपलब्धता के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की हैं तथा मांग बढ़ने पर समय पर अतिरिक्त व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं।”

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केंद्र सरकार की वेबसाइट विद्युत प्रवाह के अनुसार अगर इस महीने की 16 तारीख की ही बात करें तो प्रदेश में 21,035 मेगावाट ब‍िजली की मांग रही। लेकिन इसकी आपूर्ति नहीं की जा सकी। सरकार की ही मानें तो आपूर्ति में लगभग 4 फीसदी तक की कमी रही।

इस बीच सरकार लगातार दावा करती रही क‍ि गांवों में ब‍िजली आपूर्ति 17 घंटे से ज्‍यादा हो रही है। लेकिन किसानों की मानें तो जून, जुलाई के दौरान आठ घंटे भी ब‍िजली मुश्किल से नसीब हुई। उपभोक्‍ता पर‍िषद के अध्‍यक्ष अवधेश वर्मा कहते हैं, ” जून, जुलाई के महीने में गांवों में 10 घंटे ब‍िजली भी नहीं म‍िली। स‍िंचाई फीडर से 12 घंटे की बजाय सात घंटे ब‍िजली दी गई।” पॉवर कार्पोरेशन के अध्‍यक्ष डॉ आशीष गोयल बताते हैं कि हमने कटौती पर बराबर नजर रखी और कोश‍िश की कि कहीं भी कटौती ना हो।

कृष‍ि व‍िभाग से म‍िले आंकड़ों के अनुसार राज्‍य में 30 जुलाई तक तय लक्ष्‍य के ह‍िसाब से 60 फीसदी क्षेत्र में ही धान की रोपाई हो पाई थी। हालांकि 14 अगस्‍त को कृष‍ि व‍िभाग ने न्‍यूज पोटली को बताया कि पूरे राज्‍य में 12 अगस्‍त 2024 तक 61.80 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में धान की रोपाई हो चुकी है। जो तय लक्ष्‍य 61.24 लाख हेक्‍टेयर से ज्‍यादा है।

इस बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने चार साल से गांवों को स‍िर्फ 16 घंटे ब‍िजली देने पर नाराजगी जताई और  विद्युत व‍ितरण न‍िगमों के ख‍िलाफ कार्रवाई के न‍िर्देश द‍िये। उपभोक्‍ता अध‍िकार कानून 2020 के तहत ग्रामीण और शहरी उपभोक्‍ताओं को 24 घंटे ब‍िजली म‍िलनी चाह‍िए। मंत्रालय ने 15 द‍िन में जवाब मांगा है।

त्रासदी का वीड‍ियो

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