रतलाम। मध्य प्रदेश के रतलाम में बड़े पैमाने पर प्याज और लहसुन की खेती की जाती है। यहां के किसान प्याज और लहसुन की खेती से हर साल लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। उन्हीं में से एक किसान हैं अरविंद पाटीदार। अरविंद हर साल इन दोनों की खेती से लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। पिछले साल ही अरविंद पाटीदार ने 2 एकड़ में प्याज की खेती से 4 लाख रुपये और 5 एकड़ में लहसुन की खेती से 7 लाख रुपये का मुनाफा कमाया।
रतलाम के रेगनिया में रहने वाले अरविंद 15 सालों से प्याज और लहसुन की खेती कर रहे हैं। वो प्याज और लहसुन के साथ ही सोयाबीन की भी खेती करते हैं। न्यूज़ पोटली से बात करते हुए उन्होंने बताया कि सोयबीन के खेती से सिर्फ घर चलाया जा सकता है, लेकिन प्याज़ और लहसुन की खेती से मोटा मुनाफा भी मुमकिन है, बस तरीका थोड़ा अलग होना चाहिए। अरविंद ने न्यूज़ पोटली के साथ अपनी खेती का तरीका भी साझा किया। उन्होंने बताया कि, प्याज की खेती 6 महीने की जाती है। प्याज की फसल लगाने से पहले नर्सरी तैयार की जाती है, फिर इसकी रोपाई होती है। प्याज की खेती में पौधों से पौधों की दूरी 4 इंच और लाइन से लाइन की दूरी 6 इंच रखी जाती है। एक एकड़ प्याज की खेती में एक बोरी DAP, एक बोरी यूरिया, एक बोरी पोटाश और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स देते है। साथ ही प्रति एकड़ तीन ट्रॉली गोबर की खाद भी डालते हैं।
खेती के अपने इस तरीके से वो प्रति एकड़ डेढ़ टन तक का उत्पादन कर लेते हैं। बेहतर क्वालिटी की वजह से उन्हें रेट भी अच्छा मिलता है। वैसे तो लगभग 10 से 12 रुपये प्रति किलो तक उनका प्याज मार्केट में बिक जाता है, लेकिन कई बार रेट डिमांड बढ़ने बढ़ जाता है। 2024 के सितंबर में 35 से 40 रुपये प्रति किलो का रेट मिला।
अरविंद पाटीदार बताते हैं कि प्याज की फसल को बीमारियों से बचाना सबसे बड़ी चुनौती होती है। प्याज के पौधे में सबसे ज्यादा फंगस लगता है। इसके लिए वक्त-वक्त पर स्प्रे करते रहना पड़ता है। उन्होंने बताया कि बारिश के मौसम में थ्रिप्स कीट ज्यादा परेशान करती है, जिसके लिए हमें सात से आठ दिन में स्प्रे करना पड़ता है।
ये भी पढ़े – सचिन तेंदुलकर से मिलना चाहती है सुशीला मीणा
रतलाम और मालवा में साल में दो बार प्याज की खेती होती है। पहली बार मार्च-अप्रैल में और दूसरी बार अगस्त-सितंबर में होती है। मार्च-अप्रैल में होने वाली प्याज खेती को स्टोर कर सकते हैं, इसको हमेशा तभी बेचते हैं जब अच्छा रेट मिले, लेकिन अगस्त-सितंबर में होने वाले प्याज को स्टोर नहीं कर सकते, क्योंकि प्याज में अंकुरण हो जाता है, इसलिए इसे मार्केट रेट पर ही बेचना पड़ता है।
प्याज के साथ ही अरविंद पाटीदार लहसुन की खेती के भी धुरंधर खिलाड़ी हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में उन्हें लहसुन के उत्पादन में कमी आई है। पहले जहां एक एकड़ में 40-44 क्विंटल लहसुन का उत्पादन होता था, वहीं अब ये घट कर 28-30 क्विंटल ही रह गया है। बावजूद इसके वो अब भी लहसुन की खेती से मोटी कमाई कर रहे हैं।
लहसुन की खेती
लहसुन की बुवाई के बारे में बात करते हुए उन्होंने न्यूज़ पोटली को बताया कि, एक एकड़ में लगभग 2 क्विंटल बीज लग जाता है। इसमें लगभग 70 हजार का खर्च आता है। मजदूरी, खाद, लेबर मिलाकर लगभग एक एकड़ में बुवाई का खर्च 2 लाख रुपये तक आ जाता है। अरविंद बताते हैं कि, रतलाम समेत मालवा में लहसुन की बुवाई सितंबर में की जाती है और जनवरी के महीने में फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है।
लहसुन की अलग-अलग किस्में हैं, जैसे रियावान G2, G5। अधिकतर किसान ऊटी लहसुन लगाना पसंद करते हैं, क्योंकि ऊटी लहसुन की बल्ब साइनिंग कली बहुत अच्छी होती है, और इसमें बीमारी कम लगती है। अच्छी कंद के लिए चार महीने तक फसल को हरा-भरा रखना पड़ता है। जैविक खाद और भुरभुरी जमीन से कंद अच्छा रहता है।
ये भी पढ़े – फसलों को पाले से बचाने के लिए हल्की सिंचाई करें किसान, कृषि वैज्ञानिकों ने दी सलाह
भारत में मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा लहसुन की खेती की जाती है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में, पिछले 10 सालों में मध्य प्रदेश में लहसुन की खेती का दायरा दो गुना हो गया है। 2011-12 में 94,945 हेक्टेयर भूमि पर लहसुन की खेती होती थी, जो 2020-21 में बढ़कर 193,066 हेक्टेयर हो गई है। ये वृद्धि लहसुन के उत्पादन में भी देखी गई है।
भारत में प्याज महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और तेलंगाना में सबसे अधिक उत्पादन होता है। एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी के अनुसार 2023-24 में प्याज उत्पादन में महाराष्ट्र 35% हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर रहा, उसके बाद 17% हिस्सेदारी के साथ मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर रहा। रतलाम और मालवा में बड़ी तादाद में प्याज की खेती होती है, क्योंकि यहां की काली मिट्टी प्याज की खेती के लिए उपयुक्त होती है। दुनिया में भारतीय प्याज की सबसे अधिक मांग है। भारत ने वर्ष 2023-2024 में 1,717,439.35 मीट्रिक टन प्याज का विदेशों में निर्यात किया। यहां के प्याज को सबसे ज्यादा बांग्लादेश, मलेशिया, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल और इंडोनेशिया में निर्यात किया गया।