अब तीसरी फसल भी लेने लगे हैं किसान, यूपी में विकसित कृषि संकल्प अभियान में बोले सीएम योगी

विकसित कृषि संकल्प अभियान

उत्तर प्रदेश में विकसित कृषि संकल्प अभियान जोरों पर चल रहा है. अभियान के तहत मुख्यमंत्री योगी यूपी के औरैया जिले के अजीतमल में एक किसान संगोष्ठी में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही मक्का के लिए खरीद केंद्र खोलेगी और फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करेगी. कृषि पैटर्न में बदलाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पहले राज्य में किसान एक या दो फसलों तक ही सीमित थे. अब मक्का एक लाभदायक तीसरी फसल बन गई है, जिसकी खेती पांच लाख हेक्टेयर से अधिक में की जाती है.

इस कार्यक्रम से पहले उन्होंने हेलीकॉप्टर से कानपुर, उन्नाव, कन्नौज और औरैया के बड़े इलाके में फैली मक्का की लहलहाती फसलों का जायजा लिया। किसान संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की भाजपा की डबल इंजन सरकार के तहत पहली बार कृषि वैज्ञानिकों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के विशेषज्ञों को प्रयोगशालाओं से खेतों में भेजा गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की ‘लैब टू लैंड’ पहल किसानों को ‘बीज से बाजार’ तक ले जाने और उनके हितों को प्राथमिकता देने का हिस्सा है.

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12 करोड़ से ज्यादा किसान को मिल रहा लाभ
उन्होंने कहा कि 2014 से पहले कृषि वैज्ञानिकों के अलावा शायद ही कोई मृदा स्वास्थ्य कार्ड के बारे में जानता था. उसके बाद प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और फसल बीमा जैसी योजनाएं शुरू की गईं. आज देशभर में 12 करोड़ से ज्यादा किसान पीएम-किसान योजना से लाभान्वित हो रहे हैं. योगी ने कहा कि अकेले उत्तर प्रदेश में अब तक 2.86 करोड़ किसानों के खातों में 85,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं.

यूपी में सिंचाई सुविधा हुई बेहतर
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी में सिंचाई सुविधा में बढ़ोतरी हुई. 15 लाख किसानों के व्यक्तिगत ट्यूबवेल के कनेक्शन फ्री किए गए। राज्य सरकार प्रतिवर्ष ढाई हजार करोड़ रुपये जमा करती है. सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना, बाणसागर परियोजना, अर्जुन सहायक आदि परियोजना के माध्यम से पूरा करते हुए डबल इंजन सरकार ने प्रदेश में 23 लाख हेक्टेयर भूमि को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई.

गन्ना किसानों का होता है समय पर भुगतान
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान अपनी आय को बढ़ा रहा है. 2017 के पहले सुनने को मिलता था कि किसान को पर्ची नहीं मिली तो उसने खेत में आग लगा दी. किसान को वर्षों से गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं होता था. बताया कि 1996 से 2017 तक जितना गन्ना मूल्य भुगतान हुआ, उससे 72 हजार करोड़ रुपये अधिक (दो लाख 85 हजार करोड़) हमने आठ वर्ष में किसानों को दिया है. बंद हो रही चीनी मिलों को चलाया गया, नई चीनी मिलों को स्थापित किया गया.

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